Rafale Deal: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (6 मार्च) को राफेल सौदे से जुड़ी पुनर्विचार याचिका की सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों अथवा अन्य दस्तावेजों पर गौर नहीं करेगा जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं। सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि जब प्राथमिकी दायर करने और जांच के लिए याचिका दाखिल की गईं तब राफेल पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया गया। अगर तथ्यों को दबाया नहीं गया होता तो सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा मामले में प्राथमिकी और जांच संबंधी याचिका को खारिज नहीं किया होता।” इसके जवाब में सरकार ने कोर्ट को बताया कि राफेल सौदे से जुड़े कागजात रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए थे।
सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, “अधिवक्ता प्रशांत भूषण जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं। राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों की चोरी होने के मामले की जांच चल रही है।”
अटॉर्नी जनरल ने कहा, “याचिकाकर्ता ने राफेल सौदे पर जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया है वे गोपनीय हैं और आधिकारिक गोपनीयता कानून का उल्लंघन हैं। राफेल पर ‘द हिंदू’ की आज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को प्रभावित करने के समान है जो अपने आप में अदालत की अवमानना है।” अटॉर्नी जनरल ने राफेल पर पुनर्विचार याचिका और गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुये कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है। अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा, “राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और अदालत की अवमानना का दोषी है।”
दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि प्रशांत भूषण को सुनने का यह अर्थ नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकॉर्ड में ले रहा है। सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल से भोजनावकाश के बाद यह बताने को कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों के चोरी होने पर क्या कार्रवाई की गई? (भाषा इनपुट के साथ)