इराम सिद्दीकी।

केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय ने रेलवे में सुधार के कई प्रस्तावों को रेल मंत्रालय के पास भेजा है। इसमें रेल मंत्रालय से रेल विकास निगम लिमिटेड का IRCON में, रेलटेल का आईआरसीटीसी में और ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड को RITES द्वारा अधिग्रहण किए जाने समेत कई सिफारशों को लागू करने की बात कही है। बता दें कि इस कदम को रेलवे में सुधार और उसपर आ रहे वित्तीय अधिभार को कम करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।

रेलवे में सुधार की यह प्रस्तावित रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने तैयार की है। रिपोर्ट में उन्होंने रेल मंत्रालय की संरचना और उसके डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर किए अध्ययन पर इस तरह का प्रस्ताव दिया है:

रेलवे द्वारा चलाए जा रहे 94 स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के अधीन लाया जाए
रेलवे के 125 अस्पतालों को अपग्रेड करके उन्हें व्यापक स्तर पर आम जनता के लिए खोलना
रेलवे द्वारा संचालित स्कूलों और अस्पतालों के लिए PPP मॉडल का सुझाव

सचिवालय की तरफ से कहा गया है कि ऐसे ठोस कदमों से रेल सेवा को बेहतर तरीके से चलाने मदद मिलेगी। इसके साथ संस्था अपनी मुख्य क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित कर सकेगी।

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस प्रस्ताव से संबंधित रिपोर्ट उन्हें एक सप्ताह पहले ही सौंपी गई थी। नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, “इस रिपोर्ट को अब सभी प्रमुख विभागों को भेजा गया है। इन सभी मामलों पर रेलवे बोर्ड के सभी सदस्यों के साथ चर्चा करने की जरूरत है।”

संजीव सान्याल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि IRCON बुनियादी ढांचा निर्माण करने वाली कंपनी है और RVNL भी इसी से जुड़े कामों को देखती है। दोनों के कार्य व्यावसायिक रूप से समान हैं। ऐसे में आरवीएनएल का इरकॉन में विलय किया जा सकता है।

रेलटेल, रेलवे ट्रैक के साथ ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क से जुड़े काम करता है। आईआरसीटीसी जिसका मुख्य काम इंटरनेट टिकटिंग है। वहीं CRIS का काम माल ढुलाई करना है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि CRIS का काम आईआरसीटीसी को देने के बाद इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। रेलटेल को भी आईआरसीटीसी में विलय कर दिया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय को भारतीय रेलवे वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन में सीधे तौर पर अपनी भागीदारी नहीं रखनी चाहिए। इसके लिए एक सोसायटी का गठन किया जाना चाहिए जो सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आवास प्रदान करने का काम करे। आईआरडब्ल्यूओ को भी निजी तौर पर चलने वाले निकाय के रूप में देखना चाहिए।

नाम न बताने की शर्त पर एक और अधिकारी ने कहा कि इनमें से कई सार्वजनिक उपक्रम और निकाय सिर्फ इसलिए अस्तित्व में हैं क्योंकि इससे अधिकारियों को फायदा है। ऐसे अधिकारी एक निश्चित शहर या क्षेत्र में बने रहना चाहते हैं।