सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने अपने ही अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारकर कई को भ्रष्टाचार के मामलों में धर-दबोचा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई अफसरों को कुछ समय पहले ही भनक लगी थी कि उसके कुछ अधिकारी जांच के दायरे में आई कंपनियों की से रिश्वत ले रहे हैं और उन्हें फायदा पहुंचा रहे हैं। इसी के बाद एजेंसी ने जांच शुरू की थी।

क्या था मामला?: सीबीआई की एंटी-करप्शन यूनिट की कार्रवाई पर अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी इस शर्मसार करने वाले मामले पर चुप्पी साधे हुए है। बताया गया है कि सीबीआई ने इस सिलसिले में कम से कम 14 स्थानों पर तलाश अभियान चलाया। इनमें दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, कानपुर और मेरठ शामिल रहे।

अधिकारियों के अनुसार, ऐसा बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ अधिकारी आरोपी कंपनियों से मिडिलमैन के जरिए कथित रूप से नियमित भुगतान ले रहे थे। सीबीआई ने इस मामले में एक बयान भी जारी किया, जिसमें बताया गया कि उसने अपने चार अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें एजेंसी का एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट, इंस्पेक्टर, स्टेनोग्राफ्रर, एडवोकेट शामिल हैं।

सीबीआई ने बताया कि उसने पकड़े गए अधिकारियों पर आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक, अगस्त 2020 में सीबीआई ने मुंबई आधिरत एक कंपनी पर केस दर्ज किया था, जिसने 14 बैंकों के कंसोर्शियम को 3592 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। इस मामले की जांच सीबीआई की बैंकिंग धोखाधड़ी इकाई कर रही थी। अब यह आरोप है कि कुछ सीबीआई अधिकारी इन कंपनियों के प्रमोटर्स से घूस ले रहे थे। यह जानकारी सीबीआई के टॉप अफसरों तक पहुंचने के बाद एंटी करप्शन यूनिट ने आरोपियों की जासूसी शुरू कर दी।