प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय मिश्रा को एक्सटेंशन दिलाने के लिए केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंची है। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है। अदालत ने वीरवार दोपहर 3.30 बजे सुनवाई करने की हामी भरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ईडी निदेशक संजय मिश्रा को 31 जुलाई तक काम करने की छूट दी है। ईडी डायरेक्टर को एक के बाद एक करके कई एक्सटेंशन देने का केंद्र का फैसला सुप्रीम कोर्ट को पहले भी रास नहीं आया है। एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को साफ हिदायत दी थी कि वो संजय मिश्रा को एक्सटेंशन न दे। हालांकि उसके बाद भी सरकार ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाती रही।
सरकार का कहना है कि संजय मिश्रा कई अहम मामले देख रहे हैं। अभी उनकी जगह पर किसी दूसरे को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं की जा सकी है। सरकार का तर्क है कि ईडी निदेशक के पद पर विभागीय पदोन्नति नहीं होती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी योग्य अधिकारी को सीधे ईडी निदेशक के पद पर तैनात करना होगा है। लिहाजा उनको कुछ वक्त दिया जाए जिससे वो बेहतरीन अफसर का चयन कर सके।
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने जारी की थी सरकार को हिदायत
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने पिछली सुनवाई पर केंद्र को सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि मनमर्जी से किसी भी अधिकारी को एक्सटेंशन न दिया जाए। बेंच का कहना था कि सरकार को चाहिए कि वो सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले को ध्यान में रखकर अपना कदम उठाए। सरकार ऐसा कोई काम न करे जिससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होती हो।
मनी लांड्रिंग को रोकने के लिए 1989 में बनी थी FATF
उधर केंद्र का तर्क है कि FATF (फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स) की मीटिंग होने वाली है। इसके लिए ईडी निदेशक को एक्सटेशन देना बेहद जरूरी है। कोई दूसरा अफसर इस मीटिंग को हैंडल नहीं कर सकता है। ये अंतरराष्ट्रीय मसला है लिहाजा संजय मिश्रा को एक्सटेंशन देना बेहद जरूरी है। FATF एक अन्तरसरकारी संस्था है, जो मनी लांड्रिंग को रोकने से सम्बन्धित नीतियां बनाने के लिए 1989 में स्थापित की गई थी।