सुप्रीम कोर्ट ने सेवाओं पर नियंत्रण संबंधी अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करने पर बृहस्पतिवार को सहमति जताई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के लिए हामी भरी।

सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने इस मामले का जिक्र करते हुए तत्काल सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया। सिंघवी ने कहा कि यह अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका है। उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए अध्यादेश ला दिया। इस मामले में तुरंत सुनवाई की जरूरत है। सीजेआई ने कहा कि इसे सोमवार 10 जुलाई के लिए लिस्ट कीजिए, मैं खुद इस मामले को देखने जा रहा हूं।

दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में किया है अध्यादेश का विरोध

दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि यह अध्यादेश कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक इस्तेमाल है जो शीर्ष अदालत और संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करने का प्रयास करता है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद करने के अलावा इस पर अंतरिम रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनकी पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था। मोदी सरकार का ये कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ था।

अफसरों की ट्रांसफर\पोस्टिंग का अधिकार SC ने दिया था केजरीवाल को

अध्यादेश जारी किए जाने से महज एक सप्ताह पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। यह अध्यादेश दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दमन एवं दीव तथा दादरा और नगर हवेली सिविल सेवा (दानिक्स) काडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने की बात करता है।