प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मैसेज जनता तक पहुंचाने के लिए टीवी, सोशल मीडिया के साथ-साथ अपने रेडियो प्रोग्राम शो “मन की बात” का भी इस्तेमाल करते हैं। पीएम मोदी के “मन की बात” प्रोग्राम से देशभर के लोग परिचित हैं इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन सेंसर बोर्ड इस प्रोग्राम के नाम (मन की बात) को लेकर सुर्खियों में आ गया है। सेंसर बोर्ड का काम किसी फिल्म के उन हिस्सों को हटवाने का होता है जो दर्शकों के लिए ठीक नहीं होते। अमूमन सेंसर बोर्ड फिल्मों से “अश्लील” और गालियों वाले सीन्स को हटवाता है। वहीं सेंसर बोर्ड ने एक फिल्म के जिस हिस्सों को हटाने की बात कही है उसका कनेक्शन पीएम मोदी के रेडियो प्रोग्राम “मन की बात” से है।
मिड डे की खबर के मुताबिक डाक्सकिन छरा की नई फिल्म “समीर” के एक सीन में “मन की बात” सुनाई देता है जिसके इस्तेमाल पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति है। खबर के मुताबिक फिल्म के आखिरी सीन में लीड हिरो(सुब्रत दत्ता) और विलेन(जीशान मोहम्मद अय्यूब) के बीच बातचीत का एक सीन आता है। इस सीन में जीशान, हिरो से डायलोग कहते हैं “एक मन की बात कहूं, तुम कैरेक्टर अच्छा बना लेते हो”। इसके जवाब में हिरो जो डायलोग बोलता है उसमें अभद्र शब्द का इस्तेमाल किया गया है। खबर के मुताबिक सेंसर बोर्ड का ध्यान दूसरे डायलोग पर कम और पहले पर ज्यादा रहा। वहीं फिल्म के डायरेक्टर डाक्सकिन छरा का दावा है कि जब वह बोर्ड के डायरेक्टर पहलाज निहलानी से इस मामले पर बात करने पहुंचे तो उन्होंने जवाब दिया “पीएम का रेडियो शो, लाइन डिलीट करो”।
छरा की नई फिल्म 2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाकों पर आधारित है। बता दें कि पहलाज निहलानी के नेतृव में सेंसर बोर्ड की कई फिल्मों के हिस्सों को डिलेट करने जैसे मामलों पर, बोर्ड की कड़ी आलोचना हुई थी। वहीं हाल ही में एक और फिल्म “अनारकली ऑफ आरा” के प्रोड्यूसर ने जब उन बदलवों के बारे में बताया, जो सेंसर बोर्ड ने करने को कहे थे, तो पहलाज निहलानी ने फिल्म पर ही निशाना साधा था।
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