Operation Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी अड्डों को तबाह करके जो पराक्रम दिखाया है, उसकी लोहा पूरी दुनिया मान रही है। भले ही भारत पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव थम गया है और सीजफायर की स्थति है लेकिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और आतंक का सफाया जड़ से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा टॉप लेवल की सैन्य तैयारी करनी चाहिए।
दरअसल, दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और देश को चौबीस घंटे व पूरे वर्ष बहुत उच्च स्तर की सैन्य तैयारी रखनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सेना को “इन्फॉर्मेंशन वारफेयर, प्रौद्योगिकी योद्धाओं और बौद्धिक योद्धाओं” की भी जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि युद्ध के इस परिदृश्य में भावी सैनिकों को सूचना, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के मामले में विद्वान होना होगा।
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ऑपरेशन सिंदूर है बड़ा उदाहरण
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में कोई भी उपविजेता नहीं होता और किसी भी सेना को लगातार सतर्क रहते हुए उच्च स्तर की अभियान के तहत तैयारी रखनी चाहिए। जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसका एक उदाहरण है, जो अब भी जारी है। हमारी तैयारी का स्तर बहुत ऊंचा होना चाहिए, चौबीस घंटे, 365 दिन।
‘दुश्मन को बातचीत की टेबल पर…’
भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने शुक्रवार को कहा कि भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह दिखा दिया है कि कैसे 50 से भी कम हथियारों से दुश्मन को बातचीत की मेज पर लाया जा सकता है। उन्होंने इसे एक ऐसा उदाहरण बताया जिसका अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने लाभ-हानि, खासकर हवाई शक्ति के बारे में काफी चर्चा की। मुझे लगता है कि इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं है। जैसा हमने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में किया।’’ उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह दिखा दिया है कि कैसे 50 से भी कम हथियारों से दुश्मन को बातचीत की मेज पर लाया जा सकता है।
पहलगाम का भारत ने लिया था बदला
बता दें कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने सात मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर शुरू करके पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के कई ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तान ने भी भारत के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किया और उसके हमलों का जवाब भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत ही दिया गया।
गौरतलब है कि दस मई की शाम को सहमति बनने के बाद दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच सैन्य संघर्ष रुक गया। सीडीएस ने शस्त्र और शास्त्र दोनों के बारे में सीखने के महत्व पर भी जोर दिया।
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