ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर CBI ने चार्जशीट दायर की है। जिसमें तीन लोगों के नाम प्रमुखता से सामने रखे गए हैं। इसमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं। इन लोगों पर गैर इरादतन हत्या और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है। 

CBI ने दायर की चार्जशीट 

सीबीआई ने तीन रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है, जिन्हें पहले बालासोर ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था,  इस हादसे में  लगभग 290 लोग मारे गए थे और कई सौ घायल हुए थे। जुलाई में इन तीनों  रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। इन तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 और 201 के तहत गिरफ्तार किया गया था। 

CBI ने आरोप क्या लगाया है, क्या वजह थी?

इस हादसे की एक अहम वजह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी बताई जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए रेलवे की सिग्नलिंग को कंट्रोल किया जाता है। यह ऐसी सुरक्षा प्रणाली है जो सुनिश्चित करती है कि ट्रेनों की आवाजाही बिना किसी अवरोध के होती रहे और कोई एक्सीडेंट ना हो। इंटरलॉकिंग सिस्टम के मुख्य तौर पर तीन कंपोनेंट होते हैं। पहला- पॉइंट्स, दूसरा- ट्रैक ऑक्यूपेंसी सेंसिंग डिवाइसेज और तीसरा- सिग्नल। इंटरलॉकिंग सिस्टम इन तीन कंपोनेंट्स के बीच तालमेल बिठाकर ट्रेनों के मूवमेंट को कंट्रोल रखता है। CBI का कहना है कि यह हादसा ट्रेन को सिग्नल ना मिलने की चूक के रहते हुआ है। 

कोरोमंडल एक्सप्रेस की बात करें तो इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में अपलाइन (जिस ट्रैक पर कोरोमंडल खड़ी थी) उसे खाली दिखाया जाना चाहिए था। और यदि पॉइंट अपलाइन की तरफ लॉक है तो सिग्नल हरा होना चाहिए था। लेकिन पॉइंट लूप लाइन (जिस पर मालगाड़ी खड़ी) की तरफ चेंज हो गया।