भारत की शीर्ष जांच एजेंसी CBI इन दिनों गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। भ्रष्‍टाचार और घोटालों की जांच करने वाले एजेंसी के अधिकारी एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। मामला इतना बढ़ गया कि CBI के अफसर एक-दूसरे के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए। नतीजा यह हुआ कि देश की प्रीमियर जांच एजेंसी के दो शीर्ष अफसरों से फौरी तौर पर जिम्‍मेदारियां ले ली गई हैं। इस गंभीर विवाद के केंद्र में कई हाईप्रोफाइल मामलों को अंजाम तक पहुंचाने वाले CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना हैं। उन्‍होंने तत्‍काल प्रभाव से छुट्टी पर भेजे गए CBI प्रमुख आलोक वर्मा के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। अस्‍थाना ने वर्मा पर IRCTC घोटाले में अनावश्‍यक हस्‍तक्षेप करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले में जेल में बंद पूर्व रेल मंत्री लालू यादव और उनके परिवार के कई सदस्‍य आरोपी हैं। वहीं, अस्‍थाना पर मोईन कुरैशी मामले में घूस लेने का आरोप लगाया गया है। CBI ने इस बाबत उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है। गुजरात कैडर के 1984 बैच के IPS अधिकारी राकेश अस्‍थाना की गिनती देश के तेज-तर्रार पुलिस अधिकारियों में की जाती है। उन्‍होंने अपने करियर में कई गंभीर मामलों की जांच को अंजाम तक पहुंचाया है। इनमें से एक मामला चारा घोटाला भी है, जिसमें दोषी करार लालू यादव जेल में बंद हैं।

गोधरा कांड, विजय माल्‍या बैंक फ्रॉड, अगस्‍ता वेस्‍टलैंड हेलिकॉप्‍टर खरीद घोटाला जैसे मामलों की कर चुके हैं जांच: रांची से स्‍कूल की पढ़ाई करने वाले राकेश अस्‍थाना चारा घोटाला के अलावा गोधरा कांड, विजय माल्‍या बैंक फ्रॉड, अगस्‍ता वेस्‍टलैंड हेलिकॉप्‍टर खरीद घोटालाऔर आसाराम बापू से जुड़े मामलों की जांच कर चुके हैं। इसके अलावा धनबाद में पुलिस महानिदेशक (खनन सुरक्षा), DGMS को भी घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा था। उस वक्‍त डीजी स्‍तर के अधिकारी की गिरफ्तारी का यह पहला मामला था। चारा घोटाले में राकेश अस्‍थाना की जांच की आधार पर ही वर्ष 1997 में पहली बार बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया गया था। अस्‍थाना पूर्व आईपीएस अधिकारी आरके राघवन की अध्‍यक्षता वाले जांच दल का भी हिस्‍सा रह चुके हैं, जिसने गोधरा कांड की जांच की थी। जांच दल की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट ने की थी। राकेश अस्‍थाना ने आसाराम बापू से जुड़े हाईप्रोफाइल मामले की भी जांच की थी। इसके अलावा वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाके की भी छानबीन की थी। राकेश अस्‍थाना ने इस मामले की जांच महज 22 दिनों में ही पूरी कर ली थी।

विवादों से रहा नाता: राकेश अस्‍थाना का विवादों से भी नाता रहा है। सीबीआई में विशेष निदेशक के पद पर उनकी नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। गैर सरकारी संस्‍था ‘कॉमन कॉज’ ने अस्‍थाना पर स्‍टर्लिंग बायोटेक मामले में संलिप्‍त होने का आरोप लगाया था। संस्‍था का कहना था कि वर्ष 2011 में कंपनी से जब्‍त डायरी में अस्‍थाना का भी नाम है। बता दें कि सीबीआई मनी लांड्रिंग के मामले में कंपनी की जांच कर रही है। इस मामले में दर्ज एफआईआर में अस्‍थाना का नाम नहीं था। माना जाता है कि सीबीआई ही इस मामले की भी जांच कर रही है।

सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा ने अस्‍थाना की नियुक्ति का किया था विरोध: अक्‍टूबर, 2017 में राकेश अस्‍थाना को सीबीआई में विशेष निदेशक बनाया गया था। केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रमुख की अध्‍यक्षता वाली समिति ने अस्‍थाना का सीबीआई में नंबर दो के पद के लिए चयन किया था। बताया जाता है कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा ने अस्‍थाना की नियुक्ति का विरोध किया था। वर्मा ने समिति के समक्ष स्‍टर्लिंग बायोटेक मामले की जांच से जुड़ी गोपनीय रिपोर्ट भी पेश की थी। हालांकि, बाद में CVC केवी चौधरी ने कहा था कि अस्‍थाना की नियुक्ति का फैसला आम सहमति से लिया गया।