केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में देश की सबसे जांच एजेंसी के एक अफसर के वकील ने कहा कि वह कुछ चौंकाने वाले तथ्य बताने चाहते हैं। पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने इस पर सख्त जवाब देते हुए कहा कि हमें (कोर्ट को) कुछ नहीं चौंकाता है। आपको बता दें कि आईपीएस अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर मामले में बनी जांच टीम के मुखिया हैं। वह इसके अलावा पीएनबी घोटाले के मुख्यारोपी-हीरा कारोबारी नीरव मोदी के मामले की जांच भी कर रहे हैं। ताजा मामले के बीच उनका ट्रांसफर नागपुर (महाराष्ट्र) कर दिया गया, जिसे लेकर वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे।
कोर्ट के समक्ष उनके वकील ने कहा, “हम इस एप्लीकेशन के जरिए कोर्ट के समक्ष कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने लाना चाहते हैं।” सीजेआई ने इसी पर कहा, “नहीं। हमें कुछ नहीं चौंकाता है।” दरअसल, घूसखोरी के आरोपों को लेकर जबरन छुट्टी (फोर्स लीव) पर भेजे गए सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच सिन्हा ही कर रहे हैं। सोमवार (19 नवंबर) को उन्होंने कोर्ट का रुख कर अपना ट्रांसफर नागपुर किए जाने के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया।
भ्रष्टाचार के कथित मामले में अस्थाना की भूमिका की जांच कर रही टीम का हिस्सा रहे आईपीएस अधिकारी सिन्हा ने अविलंब सुनवाई के लिए सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया। पीठ में न्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ शामिल हैं।
गौरतलब है कि यह बेंच अधिकार छीनने और छुट्टी पर भेजने संबंधी सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगी। सिन्हा ने कहा कि उनकी अर्जी पर भी कल वर्मा की याचिका के साथ ही सुनवाई की जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका तबादला नागपुर कर दिया गया है। वह इस कारण अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच से बाहर हो गए हैं।
उधर, आलोक वर्मा ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट का जवाब देने के लिए अधिक मोहलत मांगी है। पहले तक उन्हें अपना जवाब दोपहर एक बजे तक देना था। मगर अब वह उसे शाम चार बजे तक दाखिल करेंगे। केंद्र सरकार ने उन्हें भी सीबीआई की छवि खराब होने का हवाला देते हुए जबरन छुट्टी पर भेज दिया था।
