बिहार में जातीय जनगणना नीतीश सरकार स्वयं कराने जा रही है। इसमें प्रदेश भाजपा इकाई समेत सभी दलों का समर्थन है। जबकि केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने से इंकार कर दिया है। ऐसे में इसको लेकर बहस शुरू हो गई है। बिहार भाजपा नेताओं से सवाल पूछे जा रहे हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने जातिय जनगणना को लेकर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा है कि हिंदू के साथ-साथ मुसलमानों की जातियों की भी गणना कराई जानी चाहिए। साथ ही धर्म परिवर्तन पर देश में सख्त कानून बने।
बुधवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “देश के अंदर मोदी एक तरफ से विकास के एजेंडे को ले गए। बजट जो 2014 में साढ़े सोलह लाख करोड़ का था, आज साढ़े सैंतीस लाख करोड़ से ऊपर हो गया है, लेकिन जो लोग समाज में अपना एजेंडा चाहते हैं, उसमें मेरे जैसी व्यक्तिगत राय पूछेंगे तो आज की तारीख में देश में धर्म परिवर्तन का एक सख्त कानून होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “आज प्रदेश बिहार सरकार के जो जातीय जनगणना की बात है, जातीय जनगणना से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं उस जातीय जनगणना के साथ खड़ा हूं, लेकिन जातीय जनगणना में यह भी होना चाहिए कि मुसलमानों को भी जाति की श्रेणी में लाना चाहिए। क्योंकि फायदा लेते हैं, जातीय जनगणना में हो।”
केंद्रीय मंत्री बोले-“जातीय जनगणना में 11 जिलों को राजेंद्र गुप्ता और जनार्दन यादव ने एक पिटिशन दाखिल किया था कि जो लोग विदेशी हैं उनके नाम मतदाता सूची से काटे जाएं और काटे गए थे।” कहा कि “आज मैं कहता हूं जातीय जनगणना में उनको नहीं शामिल करना चाहिए। जो घुसपैठिए हैं, राजनीतिक दृष्टि से भले ही चाहे जो कह लें, लेकिन जो रोहिंग्या हैं, बांग्लादेशी हैं और 1991 की जनगणना में निकाले गए लोगों के परिवारों को नहीं शामिल किया जाना चाहिए।”
गिरिराज सिंह ने कहा, “मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अब समय आ गया है कि देश में अल्पसंख्यकों पर पुनर्विचार होना चाहिए। कहा कि जब मदनी खुद कह रहे हैं कि मैं अब अल्पसंख्यक नहीं हूं तो अल्पसंख्यक शब्द हटा देनी चाहिए। ये मैं कह रहा हूं क्योंकि मैं ऐसे भी नारा लगा रहा हूं “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास।”