सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गर्मी के दौरान वकीलों को काले कोट पहनने से छूट देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। SC ने अदालतों में ड्रेस कोड की मर्यादा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट का एक डेकोरम होता है, आप कुर्ता-पायजामा में बहस नहीं कर सकते।
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, याचिकाकर्ता वकील शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने विशेष रूप से निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों में वकीलों को अत्यधिक गर्मी के दौरान कोट और गाउन पहनने से छूट की मांग की थी। हालांकि, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे ने कहा कि वकीलों को उचित पोशाक पहननी चाहिए।
CJI ने कहा, ‘गाउन पहनने से पहले ही छूट दी जा चुकी है। आपको कुछ तो पहनना ही पड़ेगा। आप कुर्ता-पायजामा या शॉर्ट्स और टीशर्ट जैसे कैजुअल कपड़ों में बहस नहीं कर सकते। कुछ डेकोरम भी होना चाहिए। हमें बताइए कि ड्रेस कैसी होनी चाहिए।’
बार की कुछ मर्यादा होती है- CJI
सीजेआई ने आगे कहा, ‘राजस्थान के हालात बेंगलुरु जैसे नहीं हैं। बार की कुछ मर्यादा होती है। डेकोरम बनाए रखने के लिए आपको उचित कपड़ों में आना होगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने गर्मी के मौसम में गाउन पहनने से छूट दी है। अदालत ने कहा, “आप बार के सदस्य हैं, कुछ डेकोरम है। आप क्या पहनेंगे, आपको ठीक से तैयार होकर आना होगा, यह मर्यादा का मामला है।”
जब पूछा गया कि वकीलों के लिए आदर्श पोशाक क्या होनी चाहिए, तो याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि काले कोट और गाउन को छूट दी जानी चाहिए, या किसी अन्य रंग की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने देश भर में बदलती मौसम स्थितियों पर प्रकाश डाला और याचिकाकर्ता को बीसीआई और केंद्र के समक्ष प्रतिनिधित्व करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
डीवाई चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता इस मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के पास ले जाएं क्योंकि वे ऐसे मामलों पर निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं। याचिकाकर्ता शैलेंद्र त्रिपाठी ने 2022 में भी बीसीआई से संपर्क करने के लिए कहे जाने के बाद शीर्ष अदालत के समक्ष इसी तरह की याचिका वापस ले ली थी। उस समय अदालत ने कहा था कि अगर बार काउंसिल कार्रवाई नहीं करता है तो याचिकाकर्ता फिर से न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र होगा।
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वकीलों को गर्मी में काले कोट से निजात की मांग
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि वकीलों के लिए ड्रेस कोड में लंबे औपचारिक गाउन के साथ काले वस्त्र/कोट/ब्लेज़र शामिल हैं, जो एक औपनिवेशिक विरासत है और भारतीय जलवायु के लिए अनुपयुक्त है, खासकर देश के उत्तरी और तटीय भागों में गर्मियों के दौरान। वकील ने तर्क दिया कि इस तरह के ड्रेस कोड से असुविधा होती है और कपड़ों को ड्राई-क्लीन और धोने की आवश्यकता के कारण वित्तीय बोझ भी पड़ता है।