CAA (Citizenship Amendment Act) के विरोध में जब देश के अलग-अलग जगहों पर इंटरनेट के बंद हो जाने से लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा वहीं इस बीच कई ऐसे ऐप हैं जिसे इसतेमाल कर प्रदर्शनकारियों ने अपने विरोध को कायम रखा। बता दें कि CAA के विरोध प्रदर्शन के समय सरकार हालात बेकाबू न हो जाए इसलिए जगह-जगह इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी थी, ऐसे में विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी हांगकांग (Hong Kong) विरोध के सीख लेते हुए दो विदेशी ऐप के जरिए एक दूसरे से संपर्क में रहे। इन ऐप्स को असम विरोध में भी प्रयोग किया गया है। यूएस ऐप इंटेलिजेंस फर्म ऐपोटोपिया (US app intelligence firm Appotopia) के अनुसार भारत में इसके डाउनलोड और यूजर्स की संख्या दिसंबर 2019 में अचानक काफी बढ़ी है।
क्या है यह ऐपः ऑफलाइन मैसेजिंग ऐप जैसे कि ब्रिजफी (Bridgefy), फायर-चैट (Fire-Chat ) दो ऐसे ऐप हैं जिनके इसतेमाल से एक सीमित रेंज में ब्लूटूथ (Bluetooth) के जरिए संपर्क साधा जा सकता है। यह ऐप एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस के बीच एक रेंज तक संपर्क साधने में काफी फायदेमंद है। दरअसल, यह ऐप पियर टू पियर मीश नेटवर्क (पर काम करती हैं और इनके यूसेज और इस्तेमाल के लिए कोई किसी भी मोबाइल नेटवर्क की जरुरत नहीं पड़ती है।
CAA विरोध में हुआ ऐप का इसतेमालः बता दें कि हाल में हुए हांगकांग विरोध से सीख लेते हुए CAA विरोध में भी इन ऐप को बढ़ चढ़कर इस्तेमाल किया गया है। असम, दिल्ली और यूपी में भी इन ऐप्स को इसतेमाल किया गया है। यूएस ऐप इंटेलिजेंस फर्म ऐपोटोपिया की माने तो हाल में ही ब्रिजफी की डाउनलोड और एक्टीव यूजर्स की संख्या में काफी बढ़त देखने को मिली है। ब्रिजफी ऐप पर कंपनी का कहना है कि इसे बनाने का मकसद हिंसा फैलाना नहीं बल्कि ब्लाकडाउन के दौरान लोगों से संपर्क साधना है।
ऐप्स का डाउनलोड बढ़ा 80 गुनाः ऐपोटोपिया के मुताबिक, भारत में 12 दिसंबर के बाद जब असम और मेघालय में इंटरनेट बंद हो गया था तब इन ऐप्स का डाउनलोड 80 गुना बढ़ा था। देश की राजधानी दिल्ली में भी करीब 30 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। ब्रिजफी ऐप को सबसे पहले मुंबई स्थित राजनीतिक कार्यकर्ता रुबेन मस्करनहस ने इस ऐप को इस्तेमाल किया था। उनका कहना है कि यह ऐप हिंसा को फैलाने के लिए नहीं बल्कि संपर्क साधने के लिए है।