फिरोजाबाद के हाजीपुरा में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों को पुलिस ने हिंसक झड़प के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान पुलिस ने एक माउथ कैंसर से पीड़ित 48 वर्षीय अहमद नबी को भी उठाया था। पीड़ित के परिवार का दावा है कि जेल में उसे कथित तौर पर बिना किसी मेडिकल सहायता के रखा गया। जिला अदालत के निर्देश के बाद उसे कैंसर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है लेकिन उनका इलाज अभी भी शुरू नहीं हो पाया है।
पुलिस के पास हिंसा में शामिल होने का कोई सबूत नहीं: पीड़ित परिवार के अनुसार अहमद नबी हाजीपुरा में एक क्रॉकरी की दुकान चलाता है, जहां 20 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। पीड़ित के छोटे भाई नबी ने कहा कि नमाज़ के बाद हिंसा के बारे जब उन्हें किसी ने बताया तो वह अपने दुकान चले गए। इसके बाद पुलिस ने उसे हिंसा में शामिल होने के आरोप में उठा लिया। पुलिस के पास उसके विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का कोई सबूत नहीं था।
Hindi News Today, 27 December 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
पुलिस के मार से हाथ-पैर टूटे: अहमद के परिवार ने दावा किया है कि पुलिसकर्मियों ने उसके साथ इतनी बेरहमी से मारपीट की है कि उसका दाहिना पैर और बायां हाथ टूट गया। कमर ने मीडिया को बताया है कि मैं गुरुवार (26 दिसंबर) को जेल में उनसे मिला गया था। उस समय वह काफी ज्यादा दर्द में थे। उनके हाथों पर प्लास्टर करने के बजाय सिर्फ सूती कपड़ा लपेटा गया था।
दो महीने पहले हुई थी जबड़े की सर्जरी: पीड़ित के छोटे भाई वकील नबी ने बताया कि “उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद से कोई दवा नहीं दी गई है। उन्हे हर रोज बीस से ज्यादा अलग-अलग तरह की गोलियां खानी पड़ती है। उन्हें रेडियो थेरेपी के लिए जयपुर में भगवान महावीर कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में ले जाया जाता है। उनके जबड़े की सर्जरी दो महीने पहले हुई थी। कोई कैसे सोच सकता है कि ऐसा व्यक्ति हिंसक भीड़ का हिस्सा हो सकता है? ”
प्रशासन नहीं कर रही है अमल: उन्होंने आगे बताया कि उनकी स्थिति को देखते हुए, हमने मंगलवार (24 दिसंबर) को जिला अदालत में अपील की थी और विशेष न्यायाधीश ने जिला प्रशासन, पुलिस और जेल अधिकारियों को उनके इलाज के लिए विशेष अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था। फिर भी प्रशासन इस आदेश को अमल नहीं किया है।
पुलिस महानिरीक्षक (आगरा ज़ोन) सतीश गणेश ने कहा है कि, “पुलिस के लिए तुरंत यह पहचानना संभव नहीं है कि कौन दंगा करने वाला है और कौन नहीं। हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। किसी निर्दोष को नहीं सताया जाएगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। ”