कर्नाटक के बीदर में जिला सत्र अदालत ने शाहीन प्राथमिक विद्यालय के पांच प्रबंधन प्रतिनिधियों को अग्रिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने यह कहते हुए प्रतिनिधियों को अग्रिम जमानत दी कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ स्कूल के बच्चों द्वारा किया गाया ‘नाटक’ समाज में किसी भी तरह की हिंसा या असामंजस्य पैदा नहीं करता। इस नाटक के चलते स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी और उनपर देशद्रोही का मुकदमा किया गया था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया राजद्रोह को लेकर ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है।

3 मार्च को पारित अग्रिम जमानत आदेशों में अदालत ने कहा कि “इस मामले में प्रथम दृष्टया में आईपीसी की धारा 124 A (राजद्रोह) का केस बनता नहीं दिख रहा है।” जिला जज मनगोली प्रेमवती ने कहा ” इस नाटक में बच्चों ने जो व्यक्त किया है वह यह है कि अगर वे दस्तावेज नहीं दिखते हैं तो उन्हें देश छोड़ना होगा; इसके अलावा, इस नाटक में ऐसा कुछ भी नहीं है कि उनपर देशद्रोह का मुकदमा किया जाये।

अदालत ने शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के 60 वर्षीय अध्यक्ष अब्दुल कादिर को अग्रिम जमानत दी; स्कूल के 40 वर्षीय हेडमास्टर अलाउद्दीन, और स्कूल प्रबंधन समिति के तीन सदस्यों को 2-2 लाख रुपये के निजी बांड के साथ जमात दी। स्थानीय पत्रकार मोहम्मद यूसुफ रहीम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नाटक प्रसारित किया था। उन्हें भी अग्रिम जमानत दी गई है।

यह मामला 26 जनवरी को भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता निलेश रक्षित्याल की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने रहीम के सोशल मीडिया अकाउंट से ये नाटक देखा था। मंगलवार को कोर्ट के आदेश के साथ राजद्रोह के मामले के सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई है। इससे पहले शाहीन प्राइमरी और हाई स्कूल की संचालिका फरीदा बेगम और एक छात्र की मां नजबुन्निसा को जमानत दे दी गई थी। जिला प्रमुख और सत्र न्यायाधीश ने नजबुन्निसा और फरीदा बेगम को एक लाख रुपए के व्यक्तिगत बांड पर जमानत दी गई थी।

अपने आदेश में, जिला न्यायाधीश प्रेमवती ने कहा, “जानकारी और अन्य अभिलेखों के सावधानीपूर्वक अवलोकन पर यह पाया गया है कि कलाकारों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है और उन्होने पीएम के खिलाफ चप्पल का इस्तेमाल किया है। यह पाया गया कि नाटक के माध्यम से उन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध किया था और नाटक स्कूल के समारोह में आयोजित किया गया था। लेकिन संवाद, अगर पूरी तरह से पढ़ा जाए, तो कहीं भी सरकार के खिलाफ देशद्रोह का कोई मुकदमा नहीं बनता।”