मशहूर पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म ‘हम देखेंगे’ हिंदू विरोधी है या फिर नहीं? इस मसले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश स्थित IIT कानपुर में जांच कमेटी गठित हुई है। इसी दावे पर संस्थान के डिप्टी-डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल ने साफ किया है कि लोगों को इस मुद्दे पर भटकना या भ्रमित नहीं होना चाहिए। हमारे यहां छात्रों की शिकायतों को लेकर जांच समिति बनी है।

गुरुवार को समाचार एजेंसी ANI से उन्होंने बताया, “मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया कि इंस्टीट्यूट ने इस बात की जांच करना शुरू कर दिया है कि फैज अहमद फैज की नज्म हिंदू विरोधी है या नहीं। यह बेहद भ्रमित करने वाली चीज है। असलियत यह है कि संस्थान को छात्रों द्वारा प्रदर्शन निकाले जाने के दौरान (नारेबाजी के दौरान नज्म पढ़ना भा शामिल) कुछ समुदायों से शिकायतें मिली थीं।”

बकौल डिप्टी डायरकेटर, “इसी बीच, सोशल मीडिया पर कुछ भड़काऊ पोस्ट्स (नज्म हिंदू विरोधी है…) सामने आए थे। ऐसे में संस्थान ने इन सभी शिकायतों की जांच के लिए समिति का गठन किया है।”

वहीं, समाचार एजेंसी PTI-Bhasha से उन्होंने कहा- छात्रों द्वारा JMI छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को ‘हम देखेंगे’ गाने के मामले में जांच के लिए समिति बनी है। आईआईटी के लगभग 300 छात्रों ने कैंपस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था, क्योंकि उन्हें धारा 144 लागू होने के चलते बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।

दरअसल, इस प्रदर्शन में एक छात्र ने फैज की कविता ”हम देखेंगे” गाई थी, जिसके खिलाफ वासी कांत मिश्रा और 16 अन्य लोगों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत दी। उनका कहना था कि वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कविता में कुछ दिक्कत वाले शब्द हैं जो हिंदुओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

अग्रवाल के अनुसार, उनके नेतृत्व में छह सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है जो प्रकरण की जांच करेगी। कुछ छात्रों से पूछताछ की गई है जबकि कुछ अन्य से पूछताछ की जाएगी जब वे अवकाश के बाद वापस संस्थान आएंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की जंग में स्थिति खराब हो रही है इसलिए उन्होंने लोगों से इसे बंद करने को कहा है और उन्होंने उनकी बात मान ली है।