महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा किउन्हें राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की कवायद से कोई परेशानी नहीं है। ठाकरे के इस बयान से शिवसेना और उसके गठबंधन सहयोगियों, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तकरार बढ़ सकता है। कांग्रेस आलाकमान ने बुधवार (19 फरवरी) को ठाकरे के बयान पर नाराजगी जाहिर की और याद दिलाया कि वह गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि एनपीआर पर आपकी मनमर्जी नहीं चलेगी। गठबंधन में हैं तो तीनों दल फैसला करेंगे।

महाराष्ट्र के प्रभारी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारा रुख पूरी तरह साफ है। हम एनपीआर लागू नहीं करेंगे। वह जो कह रहे हैं, उनका पक्ष है। हम उन्हें (ठाकरे) बताएंगे कि निर्णय तीनों पक्षों को एक साथ लेना चाहिए क्योंकि यह तिरंगा का फैसला है, अकेले भगवा का नहीं। जब तक तीनों पक्ष मिलकर फैसला नहीं लेते हैं, उन्हें राज्य में एनपीआर की अनुमति नहीं देनी चाहिए।”

शिवसेना सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने एनपीआर पर अच्छी तरह से विचार किया था और किसी भी उलटफेर का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही सूत्रों ने कहा कि एनपीआर और भीमा कोरेगांव मुद्दों पर उनके मतभेदों की वजह से गठबंधन सरकार पर कोई खतरा नहीं है।

ठाकरे ने सोमवार को मीडिया से कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र में एनपीआर को अपडेट करने के लिए डेटा संग्रह के काम को बाधित नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “एनपीआर एनआरसी से अलग है। यह जनगणना का हिस्सा है। यह हर 10 साल में होता है।” हालांकि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार एनआरसी का समर्थन नहीं करेगी। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन के बारे में उन्होंने कहा कि यह भारत में किसी को प्रभावित नहीं करेगा।

खड़गे ने कहा कि एनपीआर और जनगणना अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा, “एनपीआर में जन्मभूमि और पिता और माता की जन्मतिथि जैसे अतिरिक्त प्रश्न रखे गए हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के अशिक्षित लोग अपना जन्मस्थान या माता – पिता की जन्मतिथि नहीं बता सकते हैं।”

खड़गे ने आगे कहा, “सर्वेक्षण करते समय वे व्यक्ति के नाम के साथ ‘संदिग्ध’ लिखेंगे। आपको संदिग्ध श्रेणी में रखा जाएगा। और जब कल वे एनआरसी लाएंगे … उस समय वे कहेंगे यह संदिग्ध व्यक्ति है और इसकी आगे की जांच होनी चाहिए। जब तक कि जांच पूरी नहीं हो जाती, उसे कोई सुविधा नहीं मिलेगी। उसे तहसीलदार कार्यालय से लेकर, एसी कार्यालय, डीसी कार्यालय, उसके बाद अदालतों का तक दौड़ लगानी पड़ेगी। इससे उन लोगों को परेशान किया जाएगा जो पहले से ही देश के नागरिक हैं।”

खड़गे ने कहा, “हमारी पार्टी पूरे देश के लिए जो निर्णय लेगी, वह महाराष्ट्र में भी लागू होगा। महाराष्ट्र कोई अपवाद नहीं है।” यह पूछे जाने पर कि यदि ठाकरे एनपीआर पर लिए गए अपने रुख पर कायम रहे तो कांग्रेस क्या करेगी? खड़गे ने कहा, “देखते हैं… मैं तब तक कुछ नहीं कह सकता जब तक कि हम एनसीपी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करते हैं और आलाकमान का कोई फैसला नहीं आता है।”