सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील गुजरात का अहमदाबाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शहर में पिछले 45 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हो रहा है। लोगों ने इन विरोध-प्रदर्शनों को सांकेतिक समर्थन देने के लिए अपने घरों के बाहर बोर्ड और तख्तियां भी लगाई हैं। इन तख्तियों पर लिखे वाक्यों से संकेत मिलता है कि जब जनसंख्या से जुड़ा सर्वेक्षण करने के लिए अधिकारी घरों में आएंगे, उनका सहयोग नहीं किया जाएगा। संकेत कहते हैं, ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे।’

लोगों के घरों के बाहर इस तरह बोर्ड रख्याल, बापूनगर और सरसपुर में देखने को मिले। इन क्षेत्रों में अधिकतर मुस्लिम आबादी निवास करती है। सीएए, एनपीआर और एनआरसी विरोधी स्लोगन के अलावा इन घरों के बाहर अन्य बातें भी लिखी हैं। जैसे- कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी तरह के सर्वे के नाम पर घर में दाखिल ना हो। स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने के लिए असहयोग आंदोलन शुरू किया है।

42 वर्षीय रख्याल निवासी नाजिया अंसारी कहती हैं, ‘कागज नहीं दिखाएंगे, विरोध का एक संकेत हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अगर किसी को लगता है कि यह देश हमारा नहीं है, तो हम उन्हें यह संदेश देना चाहते हैं कि हमारे पूर्वजों ने भी इस देश के निर्माण में योगदान दिया था। हालांकि हमारे नेता लोगों का ध्रुवीकरण करने और चुनाव जीतने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे।’

इसी तरह बीस वर्षीय बीकॉम की छात्रा आतिका अजीम कहती हैं कि उन्होंने भी अपने घर के बाहर ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ लिखी तख्ती टांगी है। किसी भी सरकारी अधिकारी को सर्वे के नाम पर घर में घुसने की अनुमति नहीं दी जाएगी। टीओआई की खबर के मुताबिक बापूनगर निवासी आतिका आगे कहती हैं कि उन्होंने अपने पड़ोस की अन्य महिलाओं से भी अपील की है कि वो सर्वे से जुड़े किसी क्रियाकलाप में भाग नहीं लें।

35 वर्षीय शहनाज सैयद कहती हैं, ‘परिवार से जुड़े सभी दस्तावेज बाढ़ में बह गए। इसीलिए मैंने अपने घर के दरवाजे पर इस तरह का संदेश लिखी तख्ती टांगी है।’ अजीत मिल परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे कलीम सिद्दीकी कहते हैं, ‘लोग अपनी इच्छा से सरकार को इन कानूनों के खिलाफ संकेत दे रहे हैं।’