केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार CAA से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। CAA लोकसभा और राज्यसभा से पहले ही पास हो चुका है। अब मोदी सरकार के द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। मोदी सरकार का यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब कुछ ही दिनों में चुनाव आयोग देश में लोकसभा चुनाव का ऐलान कर सकती है।

क्या है CAA?

CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है। एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद मोदी सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।

कब पारित हुआ था CAA?

CAA को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी था। 

ममता बनर्जी बोलीं- विरोध करेंगे

पश्चिम बंगाल ने CAA पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि NRC और CAA के नाम पर लोगों को ‘डिटेंशन कैंप’ में भेजा जाएगा, तो विरोध करूंगी। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील मुद्दे हैं। हम लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहते हैं।

CAA के खिलाफ विपक्षी दल, BJP ने किया स्वागत

असम में विपक्षी दलों ने CAA लागू करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। AASU ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी रूप से लड़ाई लड़ेगा। आसू ने 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की मांग को लेकर छह वर्षों तक आंदोलन किया था।

असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने सीएए की अधिसूचना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। सैकिया ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और BJP 2016 से कह रहे थे कि अवैध रूप से रह रहे सभी विदेशियों को असम छोड़ना होगा लेकिन CAA लाकर उन्होंने राज्य के लोगों को धोखा दिया है।”

असम बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने CAA अधिसूचना जारी किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह बहुप्रतीक्षित था। गोस्वामी ने कहा, ”विपक्ष ने झूठी जानकारी फैलाने वाला अभियान चलाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि संसद में कानून पारित होने के बाद बांग्लादेश से करोड़ों हिंदू असम में प्रवेश करेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”