यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह कानून लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने वाला है। सोनिया गांधी ने नई दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि युवाओं, पुरुषों और महिलाओं, विशेष रूप से छात्रों को सीएए के लागू होने से “गंभीर नुकसान” का एहसास हुआ है।

सोनिया गांधी ने कहा, ‘नए साल की शुरुआत संघर्षों, अधिनायकवाद, आर्थिक समस्याओं, अपराध से हुई है। हम मांग करते हैं कि सीएए के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी घटनाओं की जांच करने और प्रभावितों को न्याय देने के लिए एक आयोग का गठन किया जाए। जिस तरह छात्रों का विरोध व्यापक होता जा रहा है उससे यह बात साफ हो गई है कि सरकार डर गई है। गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरता जब वे भड़काऊ बयान नहीं देते। सीएए पर विरोध को लेकर कुछ राज्यों में स्थिति चिंताजनक है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश में।’

उन्होंने कहा ‘एनपीआर का फॉर्म और उसमें पूछे जाने वाले सवाल पूरे देश में एनआरसी लागू होने का इशारा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में के हालातों को सरकार सामान्य बता वहां राजनायिकों को स्थिति का जायजा लेने के लिए भेज रही है। सच तो यह है कि वहां के हालात चिंताजनक हैं। राज्य के लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।’

बता दें कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हो रही इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य नेता शामिल हुए।