नगर निगम की 13 सीटों पर 16 मई को होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल होने के साथ ही चुनावी सरगर्मी भी शुरू हो गई है। उम्मीदवार पदयात्रा और बैठकें करके मतदाताओं को लुभाने में जुट गए हैं। छतरपुर के भाटी वार्ड नंबर-176 से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह तंवर ने रविवार को नामांकन से पहले पदयात्रा की। पदयात्रा फतेहपुर बेरी से शुरू होकर चांदनहोला, असोला और भाटी कलां गांव तक पहुंची। यहां से कांग्रेस ने जोगेंद्र तंवर को जबकि भाजपा ने ईश्वर तंवर और आम आदमी पार्टी ने पवन तंवर को मैदान में उतारा है। यहां करीब 44000 मतदाता हैं और 12 से 15 हजार वोटों के बीच जीत-हार का फैसला होता है।

मौजूदा समय में छतरपुर के विधायक करतार सिंह तंवर भाटी वार्ड से भाजपा के पार्षद रहे थे। विधानसभा चुनाव में वे भाजपा छोड़कर आप में शामिल हो गए और यहां से विधायक चुने गए। इसलिए यह सीट खाली हो गई और अब उपचुनाव में इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए सभी दलों ने दिन-रात एक कर दी है। बीते निगम चुनाव में यहां से कांग्रेस के राजेंद्र तंवर ने ही चुनाव लड़ा था जिन्हें 8000 वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे इलाके में आयोजित महापंचायत के फैसले के बाद कांग्रेस से बगावत करके मैदान में कूद गए। 40 साल से कांग्रेस में रहे राजेंद्र तंवर महरौली ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर प्रदेश कांग्रेस में सचिव और दिल्ली सरकार के फल मंडी के अध्यक्ष तक रहे हैं। यहां से चुनाव लड़ रहे चारों उम्मीदवारों में राजेंद्र तंवर सबसे वरिष्ठ हैं, लिहाजा वे मतदाताओं की सहानुभूति हासिल कर बाजी मारने की जुगत में हैं।

भाजपा ने जिस ईश्वर प्रधान को इस बार मैदान में उतारा है, वह बीते चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की ओर से भाटी वार्ड से ही किस्मत आजमा चुके हैं। ईश्वर इससे पहले कांग्रेस में थे, बाद में टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर उन्होंने एनसीपी का दामन थाम लिया। तब उन्हें ढाई से तीन हजार के करीब वोट मिला था। इस बार भाजपा से ईश्वर को टिकट मिलने के बाद स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर पार्टी को बागी को ही टिकट देना था तो कार्यकर्ताओं की बैठक और फिर अन्य औपचारिकताओं का क्या मतलब था? बीते चुनाव में भाजपा से बगावत कर दिलीप कुमार ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाटी से भाग्य आजमाया था। दिलीप को भी इतने ही वोट मिले थे, जबकि भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता रणवीर तंवर प्रमुख दावेदारों में शुमार थे।

कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक बलराम तंवर के बेटे जोगेंद्र तंवर को टिकट देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। जोगेंद्र का पार्टी स्तर पर सीधा मुकाबला राजेंद्र तंवर से होगा। हालांकि दोनों कांग्रेसी हैं, लेकिन जोगेंद्र के पिता विधायक तो राजेंद्र तंवर ने निगम चुनाव लड़ते हुए यहां से अपनी पहचान बनाई है। बागी होकर राजेंद्र जो नुकसान करेंगे वह सीधे ईश्वर को भुगतना पड़ेगा। रही बात आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पवन तंवर की, तो उन्होंने आप की शुरुआती टीम का हिस्सा बनकर बीते विधानसभा चुनाव में यहां से आप के करतार तंवर को जिताने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। क्षेत्र में नए राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हैसियत बना रहे पवन तंवर दिल्ली सरकार के कामों की बदौलत यहां से चुनाव में बाजी मारने की फिराक में है।