Congress ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उन्हीं के एक पुराने फोटो के जरिए तंज कसा। इस तस्वीर में पीएम विश्राम आसन में आंखें बंद कर के मैट (योग वाली चटाई पर) पर लेटे थे। ‘इंस्टाग्राम’ पर कांग्रेस के आधिकारिक अकाउंट (_incindia) को शेयर करते हुए लिखा गया, “लल्ला-लल्ला लोरी, खाली है कटोरी। मोदी जी ने बेच दी, देश की तिजोरी।” रोचक बात है कि राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़े विपक्षी दल ने इसे वर्ल्ड स्लीप डे (World Sleep Day) पर शेयर किया।

दरअसल, किसानों से लेकर रोजगार और अर्थव्यवस्था तक के मुद्दों पर मोदी सरकार पर अक्सर एक धड़ा आरोप लगाता रहा है कि केंद्र सो रहा है। वह न तो विपक्ष की सुनता है, न देशवासियों की। पीएम बस अपने मित्रों के हित के लिए अपनी और उनकी मन की बात करते हैं। कांग्रेस द्वारा इस संदर्भ में शेयर किए गए इस फोटो पर सोशल मीडिया यूजर्स ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। कई लोगों ने सिर्फ मजेदार और खिलखिलाते हुए चेहरे वाली स्माइली/इमोजी कमेंट्स में पोस्ट किए, जबकि कुछ लोगों ने इस पर अपनी राय जाहिर की।

अखिल रंजन (animeranjan) ने लिखा, “वाह क्या सीन है! प्राइवेट दामोदर दास मोदी।” अर्जुन क्रिएशंस (arjunclickx) के इंस्टा हैंडल से मजेदार भरे लहजे में लिखा गया, “सुबह हो गई मामू…!”

तहजीब (tehzeeb_kohli) ने कहा- आह…प्यारा बच्चा। raghukalwa_890 के अकाउंट से कमेंट किया गया, “उठ जाना अब, सुबह हो गई है।”

सुदामा यादव (sudamaydv_inc) ने लिखा- मोदी सरकार बीते सात वर्षों से साल के 365 दिन में 24×7 कुंभकर्णी नींद में सो रही है।

उधर, पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने असम में छात्रों से संवाद साधा। उन्होंने कहा- कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो यह सुनिश्चित करेगी कि असम में नागरिकता संशोधन कानून लागू न हो।

राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा लोगों को बांटने के लिए नफरत फैलाती है। इससे पहले, उन्होंने कोरोना और लॉकडाउन को लेकर केंद्र को घेरा था।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ”देश अनियोजित लॉकडाउन के चलते आई आपदा का दंश अब तक झेल रहा है। सरकार की अक्षमता और अदूरदर्शिता के कारण बयान न की जा सकने वाली पीड़ा झेलने वाले लाखों परिवारों को सांत्वना देता हूं।”

गांधी ने ट्वीट के साथ एक खबर भी साझा की थी, जिसमें यूनिसेफ के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि कोविड-19 के चलते दक्षिण एशिया के छह सबसे अधिक आबादी वाले देशों में भारत में शिशु मृत्युदर और मातृ मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिल सकती है।