ऋण के किश्तों (ईएमआइ) के भुगतान पर स्थिर और परिवर्तनशील ब्याज दर चुनने, कर्ज की मियाद सहित मिलने वाली दूसरी राहत से त्योहारों के दौरान बैंकों का ऋण कारोबार बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद नीतिगत निर्णय की घोषणा कर दी गई है। इस बैठक में रेपो रेट में बड़ी राहत देते हुए मौजूदा 6.5 फीसद रखने की घोषणा की गई। किश्तों में कर्ज भुगतान पर फ्लोटिंग और स्थिर दर के विकल्प की अदलाबदली की सुविधा से भी ग्राहकों ने राहत की सांस ली है।

बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ अश्विनी राणा के मुताबिक फिलहाल ग्राहकों को बैंकों में स्थिर और परिवर्तनशील ब्याज दर पर ऋण का विकल्प मिलने से ग्राहकों को सुविधा होगी। त्योहारों के पहले इससे पहले अपनी खरीदारी के लिए ग्राहकों की कोशिश होगी कि ब्याज दर में राहत मिल सके। ब्याज दर के विकल्प बदलने पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क पर भी कुछ और राहत मिल सकती है। इसका भी ग्राहकों को ही फायदा मिलेगा।

अमूमन परिवर्तनशील की तुलना में स्थिर ब्याज दरें अधिक होती हैं। लेकिन स्थिर ब्याज दर का विकल्प ग्राहकों के लिए फायदेमंद है। किश्त की मियाद नहीं बढ़ने से भी मिलेगी राहत : अभी तक बैंकों में कर्ज पर ब्याज दर के विकल्प बदलने पर भी बैंक अतिरिक्त शुल्क ले रहे थे। कई बार तो ग्राहकों की जानकारी के बगैर बकाया ऋण की मियाद भी बढ़ा देने से उन्हें परेशानी से बचाने के लिए समिति ने बैंकों को निर्देश दिए हैं।

अश्विनी बताते हैं कि बकाया ऋण की किश्त अगर लंबी अवधि के लिए कर दी जाती है तो इससे खासतौर पर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों की परेशानी कई गुना बढ़ जाती है। बकाया चुकाने में देरी पर लगने वाला जुर्माना परेशानी को और बढ़ा देता है।