आधुनिक और कुशल निर्माण के लिए सरकार लुटियन दिल्ली में मंत्रियों, सेना के शीर्ष अधिकारियों, वरिष्ठ जजों और सरकारी अधिकारियों के बंगलों पर बुल्डोजर चलवा सकती है। दरअसल केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने लुटियंस बंगला जोन (LBZ) को पूरी तरह से पुनर्विकास करने के पांच साल पुराने प्रस्ताव पर फिर से जोरशोर से विचार शुरू कर दिया है। इसमें साल 1912 और 1930 के बीच अंग्रेजों द्वारा बनाए गए बंगलों की पुनर्विकास योजना का मुख्य लक्ष्य है।
CPWD के डायरेक्टर-जनरल प्रभाकर सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ‘सभी बंगलों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। इनमें रिसाव और दीमक की मुख्य समस्या है। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए मकानों को ध्वस्त कर दिया गया है क्योंकि उन्हें असुरक्षित माना जाता है।’ उन्होंने आगे कहा कि हमें सीपीडब्ल्यूडी को इन बंगलों को अभी तक रहने लायक बनाए रखने का श्रेय देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि एलबीजेड पुनर्विकास योजना साल 1998 से ही अधर लटकी है। तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने प्रस्ताव की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय को सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास और हेरिटेज जोन को पुनर्विकास का प्रस्ताव मिला था। हालांकि इस योजना को अमली-जामा नहीं पहनाया जा सका।
इसके बाद साल 2014 में सरकार ने सांसदों के लिए फ्लैटों का पुनर्विकास शुरू करने का फैसला किया। इसी बीच जोन के एक हिस्से के पुनर्विकास को मंजूरी दे दी गई थी। इस दौरान भी टाइप VIII, सबसे विशाल और शीर्ष नौकरशाहों द्वारा कब्जाए गए बंगले अछूते रहे। मामले में CPWD के डायरेक्टर-जनरल प्रभाकर सिंह ने ईटी को बताया, ‘हम फिर से लुटियंस बंगला जोन के पुनर्विकास की अपनी योजना को आगे बढ़ाएंगे। इससे हमारे मंत्रियों और अधिकारियों को बेहतर ऊर्जा से कुशल आधुनिक घर मिल सकेगा। पुनर्विकास योजना की सफलता को सुनहरी बाग, नोर्थ और साउथ एवेन्यू और BD मार्ग पर बने फ्लैटों में देखा जा सकता है।’
बता दें कि लगभग 26 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र रायसीना हिल्स, राष्ट्रपति के आवास, नोर्थ-साउथ ब्लॉक से लेकर गोल्फ लिंक, चाणक्यपुरी, सरदार पटेल मार्ग और पंचशील मार्ग जैसी आवासीय कॉलोनियों तक फैला हुआ है।