मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस डब्ल्यू डिंगडोह खासे गुस्से में थे। दरअसल वो मेघालय सरकार की तरफ से गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम (SIT) की जांच रिपोर्ट को देखकर हत्थे से उखड़े। इस जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस के उस सब इंस्पेक्टर ने खुदकुशी की थी, जिसके सिर के पीछे गोली लगी थी। चीफ जस्टिस का सवाल था कि ऐसे कोई खुदकुशी कैसे कर सकता है?
दरअसल ये मामला 2015 का है। सब इंस्पेक्टर पर्ली स्टोन जोसुआ ने अवैध खनन में लिप्त 38 ट्रकों को पकड़ा था। लेकिन अगली सुबह उनका शव बरामद किया गया। उनके सिर के पिछले हिस्से में गोली लगी थी। जोसुआ की मां मेघालय हाईकोर्ट के पास जाकर दरख्वास्त की कि उनके बेटे की हत्या की गई है। इस मामले में सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। हालांकि मेघालय हाईकोर्ट ने तब उनकी रिट को खारिज कर दिया था।
लेकिन इंस्पेक्टर की मां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। टॉप कोर्ट ने उनकी अपील को सुना और हाईकोर्ट को आदेश दिया कि वो फिर से इस मामले को देखे। उसके बाद SIT का गठन किया गया। मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी की बेंच के सामने SIT की रिपोर्ट पेश की गई थी।
चीफ जस्टिस बोले- विचलित करने वाली है SIT की रिपोर्ट
चीफ जस्टिस का कहना था कि सरकार कह रही है कि इस मामले में ट्रायल चल रहा है। पर SIT की रिपोर्ट विचलित करने वाली है। रिपोर्ट कहती है कि पुलिस अफसर ने खुदकुशी की। लेकिन कोई भी अपने सिर के पीछे गोली मारकर कैसे खुदकुशी कर सकता है। चीफ जस्टिस के तेवर खासे तल्ख थे। उनका कहना था कि अगर हम भी आंख बंद कर लेंगे तो कैसे काम चलेगा। लोग कैसे सिस्टम पर यकीन करेंगे। उनका कहना था कि SIT की रिपोर्ट बेमतलब की है। उन्होंने आदेश जारी किया कि मेघालय पुलिस फिर से इस मामले की रिपोर्ट नए सिरे से तैयार करे। वो ट्रायल रोक रहे हैं।
मौत से एक रात पहले इंस्पेक्टर ने कही थी दबाव पड़ने की बात
इंस्पेक्टर पर्ली स्टोन जोसुआ की मौत के बाद अखबारों में छपा था कि उन्होंने एक रात पहले कहा था कि उन पर खासा दबाव है कि वो अवैध खनन में लिप्त 38 ट्रकों को तुरंत छोड़ दें। मेघालय में अवैध खनन बड़ी समस्या है। हाईकोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर खनन के मामले की भी सुनवाई कर रहा है।
