गोवध विरोधी कानून को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बड़ा बयान दिया है। राज्य सरकार के एक मंत्री द्वारा कानून की समीक्षा की मांग करने के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि इस मामले पर कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी। सिद्धारमैया ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून में स्पष्टता की कमी थी और वे कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा करेंगे।
सिद्धारमैया ने कहा, “अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हम कैबिनेट में इस पर चर्चा करेंगे। हमने अभी तक कुछ भी तय नहीं किया है।” इससे पहले कर्नाटक के पशुपालन मंत्री के वेंकटेश ने कहा, “अगर भैंसों को काटा जा सकता है, तो गायों को क्यों नहीं? पिछली भाजपा सरकार एक विधेयक लेकर आई थी। उसमें उन्होंने भैंसों के वध की अनुमति दी है, लेकिन कहा है कि गोहत्या नहीं होनी चाहिए। हम इस पर चर्चा करेंगे और फैसला करेंगे।”
के वेंकटेश ने यह भी सुझाव दिया कि वृद्ध गायों का वध करने से किसानों को मवेशियों के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है। भाजपा ने पिछले दो दिनों में मंत्री के बयान के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने ट्वीट करते हुए के वेंकटेश के बयान की निंदा की और सिद्धारमैया से अपने सहयोगी को उचित सलाह देने को कहा। बोम्मई ने कहा, “पशुपालन मंत्री के वेंकटेश का बयान चौंकाने वाला है। हम उनके बयान की निंदा करते हैं। हम भारतीयों का गाय के साथ भावनात्मक संबंध है और हम उनकी मां के रूप में पूजा करते हैं।”
वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मंत्री के बयान के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने गाय को साथ लाकर उसको माला पहनाई और गुड़ खिलाया। भाजपा विधायक अश्वत्थ नारायण ने कहा, “गोहत्या विधेयक को निरस्त करने के लिए कांग्रेस के पास कोई ठोस कारण नहीं है। कांग्रेस हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ जा रही है। वे सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे शांति चाहते हैं?”
कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम राज्य में मवेशियों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। केवल 13 वर्ष से अधिक आयु के गंभीर रूप से बीमार मवेशियों और भैंसों के वध की अनुमति है।