वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से नाराज विपक्ष ने विरोध की पूरी तैयारी कर ली है। कई विपक्षी नेताओं ने बजट को भेदभावपूर्ण बताया तो कुछ ने इसे ‘कुर्सी बचाओ बजट’ तक कह दिया।

अब कांग्रेस के तीन सहित कम से कम चार मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार भी करने वाले हैं। हालांकि ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा लेंगी।

तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन ने मंगलवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का ऐलान कर दिया है कि वह इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।

बजट के विरोध में उतरे राज्यों के मुख्यमंत्री

कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “पेश किया गया केंद्रीय बजट बेहद भेदभावपूर्ण और खतरनाक है, जो संघवाद और निष्पक्षता के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ है, जिसका केंद्र सरकार को पालन करना चाहिए। इसके विरोध में कांग्रेस के सीएम नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। इस सरकार का रवैया संवैधानिक सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है। हम ऐसे आयोजन में भाग नहीं लेंगे जो पूरी तरह से इस शासन के असली, भेदभावपूर्ण पहलुओं को छिपाने के लिए बनाया गया है।”

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों में तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के सिद्धारमैया और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हैं। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने लिखा, “हमें नहीं लगता कि कन्नड़ लोगों की बात सुनी जा रही है, इसलिए नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है। हमने विरोध के तौर पर नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसकी अध्यक्षता 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।”

तमिलनाडू के साथ धोखा हुआ है : स्टालिन

तमिलनाडू के सीएम स्टालिन ने कहा कि बजट में तमिलनाडु को सबसे बड़ा धोखा मिला है। उन्होंने बजट पर गहरा असंतोष जताया और कहा कि तमिलनाडु की जरूरतों और मांगों को लगातार नजरअंदाज किया गया है।

स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडू के लिए वेल्फेयर स्कीम का बजट में कोई ज़िक्र नहीं है। तमिलनाडू के आर्थिक विकास के लिए बजट में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़क और परिवहन बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए राज्य के अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया है। स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी।