दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 20 अप्रैल को हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कई ट्वीट में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण का सहारा लेकर चलाए जा रहे बुल्डोजर भ्रष्ट अफसरों के यहां भी चले। बता दें कि गुरुवार को तीन ट्वीट कर मायावती ने बसपा की तरफ से सरकारों को सलाह भी दी।

मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा, “दिल्ली के जहांगीरपुरी सहित देश के अन्य राज्यों में भी अवैध निर्माण की आड़ में जो बुलडोजर चलाये जा रहे हैं जिसमें गरीब लोग भी प्रभावित हो रहे हैं, जबकि सरकार को उन अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्ती करनी चाहिये जिनके भ्रष्टाचार की वजह से ही अवैध निर्माण हो रहे हैं।

दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “देश में जहां भी दंगे व हिंसा होती है तो वहां कार्रवाई के नाम पर तुरन्त बुलडोजर चलाया जाये, जिसमें गरीब लोग भी पिस रहे हैं, यह उचित नहीं, बल्कि जो मूल दोषी हैं तो उनके विरुद्ध ही सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये।”

मायावती ने अपने तीसरे ट्वीट में कहा, “धर्म को भी इसके लिए इस्तेमाल करना, तो इससे देश में आपसी सद्भाव खत्म होगा तथा इसका देश विरोधी ताकतें भी गलत फायदा उठा सकती हैं। इस मामले में भी सरकारों को जरूर सोचना चाहिये। बी.एस.पी. की यह सलाह।”

बता दें कि मायावती के इन तीन ट्वीट्स पर यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर(@akhtarshahnwazs) ने लिखा, “बुआ जी आप भी हो क्या यूपी में, मुझे लगा सन्यास ले ली आपने।” वहीं वीरेंद्र प्रताप नाम के एक यूजर(@Pratap424VP) ने लिखा, “मैडम आप कभी जमीन पर दिखेंगी। जिस समाज ने आपको उपर बैठाया उसके लिए आपको जमीन पर उतरने में शर्म आती है क्या? हमने तो आपका संघर्ष नही देखा बस सुना है, लेकिन यकीन नही होता।”

वहीं उज्जवल कांत(@ujjwalkant123) ने लिखा कि देर से ही सही लेकिन वाजिब प्रश्न पूछा है आपने। इसके अलावा धरम दास(@das_prajapat) ने लिखा, “ट्वीट कर खानापूर्ति कर ली, इसीलिए पार्टी के हालात दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होते जा रहे हैं। ट्विटर से बाहर निकल जमीन पर भी उतरिये वर्ना पार्टी का सिंबल भी नहीं बचेगा। फिर खेलते रहना ट्वीट ट्वीट।”

बता दें कि 20 अप्रैल को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अवैध निर्माण को हटाने को लेकर दिल्ली एमसीडी ने बुल्डोजर की कार्रवाई की थी। जिसके खिलाफ दायर की गई याचिका पर 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बता दें कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने दो हफ्ते के लिए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।