उत्तर प्रदेश के दो राजनीतिक ध्रुवों के जुड़ने से दशकों तक उनके रिश्तों के बीच जमी बर्फ देखते ही देखते पिघल गई है। संबोधनों का दस्तूर भी नया रूप इख्तियार कर चुका है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख के लिए ‘बबुआ’ अब समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में मायावती एसपी प्रमुख अखिलेश यादव को ‘बबुआ’ कह कर संबोधित करती थीं, वहीं जवाब में अखिलेश भी उन्हें ‘बुआ’ कहकर पुकारते थे। अब आगामी लोकसभा में दोनों दल एक साथ चुनाव में उतरने जा रहे हैं, ऐसे में सोमवार को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने “एसपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव” के संबोधिन से उन्हें संबोधित किया। इ इंडियन एक्सप्रेस में छपे ‘डेली कॉन्फिडेंशल’ कॉलम के अनुसार अपने दो पन्नों के बयान में मायावती ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष को पांच मर्तबा “श्री अखिलेश यादव” कहकर पुकारा।
अब जब दोनों दल साथ आ रहे हैं तो मुसीबत की घड़ी में एक दूसरे को मानसिक बल भी दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीएसपी सु्प्रीमों ने रविवार को अखिलेश यादव को फोन करके उन्हें सीबीआी जांच का डंटकर सामना करने के लिए कहा। गौरतलब है कि यूपी में खनन घोटाला में अखिलेश यादव का भी नाम सीबीआई जांच में सामने आया है। मायावती और उनकी पार्टी ने अखिलेश के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को साजिश बताया है। मायावती ने कहा कि जिस दिन एसपी-बीएसपी के बीच मुलाकात की खबरें आईं, तभी से सीबीआई ने लंबित पड़े खनन मामले में छापेमारी शुरू की। उन्होंने इस कार्रवाई के जरिए एसपी प्रमुख अखिलेश यादव को प्रताड़ित और बदनाम करने की साजिश बताया।
मायावती ने आरोप लगाए कि उन्हें भी बीजेपी के साथ नहीं चलने की सजा मिल चुकी है। मायावती ने कहा कि, “बीजेपी अपने विरोधियों को फर्जी मामलों में फंसाने में माहिर है। बीएसपी आंदोलन भी इसे झेल चुका है। जब यूपी में लोकसभा की 80 में 60 सीटें बीएसपी ने बीजेपी को देने से मना कर दिया तो उन्होंने मुझे ताज मामले में फर्जी तौर पर फंसा दिया। इसके बाद मैंने 26 अगस्त, 2003 को बीएसपी आंदोलन के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।”