बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार (18 जुलाई) को दलितों पर अत्याचार का मुद्दा राज्यसभा में नहीं उठाने दिए जाने को लेकर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले उन्होंने सुबह के समय इस्तीफा देने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, “मैं इस सदन में दलितों और पिछड़ों की आवाज बनने और उनके मुद्दे उठाने के लिए आई हूं। लेकिन जब मुझे यहां बोलने ही नहीं दिया जा रहा, तो मैं यहां क्यों रहूं।” मायावती ने कहा, “इसलिए मैंने आज (मंगलवार) राज्यसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।”
इस्तीफा देने के बाद मायावती ने कहा, “जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा है तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है।” मायावती के इस्तीफे के बाद बुधवार दोपहर 2 बजे दलित हिंसा के मुद्दे पर बहस होने का फैसला लिया गया है। बता दें कि मायावती का कार्यकाल अगले साल तक था।
क्यों गुस्सा हुईं थी मायावती:
मायावती मंगलवार को सहारनपुर हिंसा के मुद्दे पर बोल रही थीं। बसपा प्रमुख मायावती ने दलितों से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास किया। लेकिन उपसभापति कुरियन ने उन्हें अपनी बात तीन मिनट में खत्म करने को कहा। इस पर मायावती ने अधिक समय दिए जाने की मांग की। नाराज दिख रहीं मायावती ने कहा ‘‘अगर मैं दलितों के खिलाफ हो रही ज्यादतियों को लेकर अपनी बात ही सदन में नहीं रख सकती तो मुझे इस सदन में बने रहने का नैतिक अधिकार भी नहीं है।’’
कुरियन ने मायावती को समझाने की कोशिश की जो बेअसर रही। मायावती ने कहा कि अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाने पर उन्हें सदन में बने रहने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘मैं सदन से इस्तीफा देने जा रही हूं।’’ इसके बाद वह सदन से चली गईं। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आरोप लगाया कि मायावती दलितों का मुद्दा नहीं उठा रही थीं बल्कि उन्होंने राजनीतिक बात की है। नकवी के अनुसार, यह हताशा है जो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारण पैदा हुई है।