दिल्ली में शनिवार को खिली धूप व हवा के बाद प्रदूषण के कण छितराए जरूर, लेकिन अभी भी हवा खतरनाक स्तर तक प्रदूषित बनी हुई है। इस दौरान दिल्ली का एक्यूआइ 437 दर्ज किया गया। यह गंभीर स्तर का रहा। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार सुबह भी वायु गुणवत्ता गंभीर दर्जे की रही। सुबह दस बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 473 रहा। लेकिन जैसे-जैसे दिन निकला, धूप हुई व कुछ हवा चली तो प्रदूषण के कण तितर-बितर हुए और शाम तक गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ। शाम को दिल्ली की एक्यूआइ में हल्का सुधार देखा गया जो 437 अंक पर था। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह अभी भी खतरनाक रूप से प्रदूषित है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राधानी से सटे नोएडा और गुरुग्राम में एक्यूआइ क्रमश: 587 और 557 दर्ज किया गया। जो शाम को कुछ बेहतर हुआ। यह शाम को क्रमश: 464, 441 रहा। गाजियाबाद में भी एक्यूआइ 441 रहा। ग्रेटर नोएडा में यह 408 दर्ज किया गया। लोधी रोड, दिल्ली विश्वविद्यालय, आइआइटी दिल्ली, पूसा रोड और दिल्ली हवाईअड्डे पर एक्यूआइ क्रमश: 489, 466, 474, 480 और 504 रहा। फरीदाबाद में 423 रहा।

सफर के मुताबिक, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के 3157 मामले सामने आए। चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को इसका योगदान 35 फीसद रहा। सफर ने कहा है कि उम्मीद है कि हवा की गति तेज होने के कारण अगले दो दिनों में प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है।

दिल्ली के पड़ोस के शहर में पराली जलाता किसान।

सीपीसीबी के अधिकारियों ने लोगों को घरों से बाहर न जाने की सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों के उपयोग को 30 फीसद तक कम करने का निर्देश दिया। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) पर एक उप समिति के अनुसार 18 नवंबर तक प्रदूषकों के फैलने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी।

इस दौरान संबंधित एजंसियों को आपात श्रेणी के तहत कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया। आगे की रणनीति के लिए सोमवार को बैठक होगी। समिति के सदस्य डॉ. टीके जोशी ने कहा है कि जैसे हालात रहेंगे उसी अनुसार आगे की रणनीति तय की जाएगी।