ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल का बुधवार को लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई से पहला सफल परीक्षण किया गया। इस मिसाइल का असली वजन 2.9 टन होता है, लेकिन जिस मिसाइल को टेस्ट किया गया उसका वजन 2.4 टन था। इस मिसाइल को दो इंजनों वाले सुखोई विमान से बंगाल की खाड़ी में छोड़ा गया। यह पहली बार है, जब इस सुपरसॉनिक मिसाइल को सुखोई-30 एमकेआई फाइटर विमान से छोड़ा गया। इसी के साथ भारत ने इतिहास रच दिया है। हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन इलाके के अंदर बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है। अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों को ध्वस्त किया जा सकता है और युद्धपोतों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ”सुखोई-30 से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण कर भारत ने वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर लिया है। मैं टीम ब्रह्मोस और डीआरडीओ इंडिया को इस एेतिहासिक कामयाबी पर बधाई देती हूं।” पहले खबर आई थी कि अगर टेस्ट सफल हो गया तो शुरुआती स्तर पर 42 सुखोई फाइटर जेट्स पर ब्रह्मोस मिसाइल को लगाया जाएगा। जून 2016 से दो सुखाई फाइटर जेट के साथ इसका ट्रायल रन चल रहा था।
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#WATCH: BrahMos supersonic cruise missile, successfully tested from a Sukhoi-30MKI fighter jet in Odisha’s Chandipur. (Source: IAF) pic.twitter.com/MQnCiojsaK
— ANI (@ANI) November 22, 2017
ब्रह्मोस की खासियतें: इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और दुश्मनों के लिए इससे घबराने की वजह है कि इस मिसाइल का उनके पास कोई तोड़ नहीं है। भारत के पास मौजूद ब्रह्मोस सुपरसॉनिक है यानी इसकी स्पीड करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड है, जबकि चीन के पास जो मिसाइल है उसकी स्पीड 290 मीटर प्रति सेकेंड है। आम भाषा में कहा जाए तो ब्रह्मोस चीनी मिसाइल से तीन गुना तेज है और इसे फायर करने में वक्त भी कम लगता है। इसका निशाना कभी चूकता नहीं है। इसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से बनाया है।
BrahMos supersonic cruise missile successfully tested from a Sukhoi-30MKI fighter jet pic.twitter.com/B4FqzX8jTA
— ANI (@ANI) November 22, 2017
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