कविता जोशी
भारतीय नौसेना की विशाखापट्टनम श्रेणी से लेकर भविष्य में तैयार किए जाने वाले युद्धपोतों पर ध्वनि की गति से भी तेजी से (सुपरसोनिक) दुश्मन पर वार में सक्षम विस्तारित रेंज (करीब 450 किमी से अधिक दूरी तक मार करने योग्य) वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करने की प्रक्रिया का आगाज हो चुका है।
इन सबके बीच रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल को नौसेना के नए युद्धपोतों के साथ वर्तमान में अपनी सेवाएं दे रहे पुराने युद्धपोतों पर भी लगाया जाना चाहिए।इससे नौसेना की समुद्री सामरिक क्षमता में कई गुना का इजाफा होगा और सीमापार बैठा दुश्मन भी भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत नहीं करेगा।
पूर्व नौसेनाप्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत) अरुण प्रकाश ने कहा कि नौसेना के नए और भावी युद्धपोतों पर बढ़ी हुई रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल को लगाए जाने की प्रक्रिया के दौरान जहां तक संभव हो पुराने युद्धपोतों को भी इस अत्याधुनिक जंगी हथियार से लैस किया जाना चाहिए। इससे नौसेना के पास नए और पुराने युद्धपोतों का एक ऐसा संयुक्त युद्ध बेड़ा होगा, जो दुश्मन द्वारा दी जाने वाली किसी भी चुनौती से आसानी से पार पा सकेगा।
ब्रह्मोस की बढ़ी हुई रेंज वाली मिसाइल को अनुमानित आकलन के आधार पर देखें तो जरूरत पड़ने पर इसके जरिए अरब सागर से सीधे पाकिस्तान पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नौसेना के विशाखापट्टनम श्रेणी से पहले के कुछ युद्धपोतों पर करीब 290 किलोमीटर की दूरी तक मार करने योग्य ब्रह्मोस मिसाइल लगी हुई हैं। लेकिन अब बढ़ी हुई रेंज के साथ यह हमारे सामने मौजूद हैं।
विस्तारित रेंज वाले प्रक्षेपास्त्रों का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसके वार से कोई भी देश दुश्मन के खतरे से बेहद दूर और उसकी निगाहों में आए बिना अपने तय किए गए ठिकानों को आसानी से नेस्तनाबूद कर सकता है। आपात परिस्थिति में यह बेहद मददगार रक्षा उपकरण साबित होता है, जबकि कम रेंज की मिसाइलों के साथ दुश्मन के इलाके के बेहद करीब या कभी-कभी उसके इलाके में घुसकर भी हमला करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में खुद के लिए भी बहुत अधिक खतरा रहता है।
पूर्व नौसेनाप्रमुख ने कहा कि ब्रह्मोस भारत और रूस का एक संयुक्त उपक्रम है। पहले रूस पर मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) की पाबंदियां लगी हुई थीं, लेकिन वर्ष 2016 में ये हटीं तो फिर भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज को बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई। वहीं, नौसेना के सूत्रों ने बताया कि बल के मौजूदा युद्धपोतों पर भी विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल लगाई जा सकती है। इसके लिए तकनीकी रूप से बहुत अधिक बदलाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
नौसेना का आइएनएस इंफाल ऐसा पहला युद्धपोत है, जिसपर ब्रह्मोस मिसाइल का विस्तारित रेंज वाला संस्करण लगा हुआ है। नौसेना के जंगी बेड़े में कमीशन होने से पहले ही वर्ष 2022 में इसे परीक्षणों के जरिए जांचा भी जा चुका है। गौरतलब है कि नौसेना ने रक्षा मंत्रालय के पास बढ़ी हुई रेंज वाली कुल 38 मिसाइलों की खरीद से जुड़ा हुआ एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा है। इसकी अनुमानित कीमत 1800 करोड़ रुपए है।