Bihar Student Protests 2025: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा के कथित रूप से लीक होने को लेकर राज्य में कई दिनों से बवाल चल रहा है। इस पूरे बवाल के दौरान एक एग्जाम सेंटर पर तैनात निरीक्षक की मौत, एक छात्र की आत्महत्या, जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के बाद पटना के कुछ केंद्रों पर दोबारा परीक्षा आयोजित की गई है।
इसे लेकर राज्य का राजनीतिक माहौल भी काफी गर्म रहा।
बीपीएससी परीक्षा को लेकर हुए इस बवाल को लेकर बहुत सारे सवाल लोगों के मन में हैं। इस पूरे विवाद के दौरान कब क्या-क्या हुआ, आइए इस बारे में जानते हैं।
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क्यों कराई जाती है BPSC Prelims Exam?
BPSC prelims exam या प्रारंभिक परीक्षा राज्य सरकार की नौकरियों- जिसमें सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) के पद शामिल हैं, इनमें भर्ती करने के लिए आयोजित की जाती है। लेकिन इस परीक्षा के होने से एक हफ्ता पहले ही पटना में बीपीएससी दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में छात्र इकट्ठे हो गए। इन छात्रों की मांग थी कि उन्हें स्कोरिंग पैटर्न को लेकर लिखित में आश्वासन दिया जाए।
क्यों विरोध कर रहे थे छात्र?
छात्र इस तरह की खबरों को लेकर विरोध कर रहे थे कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन पैटर्न का पालन किया जाएगा। नॉर्मलाइजेशन पैटर्न के अनुसार एग्जाम की कई शिफ्ट में स्कोर को बराबर किया जाता है और ऐसा उन मामलों में किया जाता है जहां पर अलग-अलग शिफ्ट में अलग-अलग क्वेश्चन पेपर या प्रश्न पत्र होते हैं।
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इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पहली शिफ्ट का क्वेश्चन पेपर दूसरी शिफ्ट के क्वेश्चन पेपर से कठिन है तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत पहली शिफ्ट में परीक्षा देने वाले कैंडिडेट्स के अंक बढ़ जाएंगे। छात्रों की मांग थी कि एग्जाम एक ही शिफ्ट में आयोजित किए जाने चाहिए। लेकिन जब छात्रों ने इसका विरोध किया और वह पटना के गर्दनीबाग में इकट्ठा हुए तो बीपीएससी ने लिखित में दिया कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी।
छात्र को थप्पड़ मारने से बढ़ गया बवाल
13 दिसंबर को बिहार में 912 केंद्रों पर बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई। लेकिन पटना के परीक्षा केंद्र में क्वेश्चन पेपर बांटने में देरी के आरोपों को लेकर हंगामा हुआ। इस अफरातफरी के बीच परीक्षा केंद्र पर मौजूद निरीक्षक राम इकबाल सिंह को दिल का दौरा पड़ा। इस दौरान काफी हंगामा भी हुआ और पटना के डीएम के द्वारा एक छात्र को थप्पड़ मारने के बाद यह बवाल और ज्यादा भड़क गया। राम इकबाल सिंह को फिर से दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।
कुछ दिनों के बाद क्वेश्चन पेपर बांटने में देरी के सबूत मिलने के बाद बीपीएससी ने पटना के केंद्र पर फिर से एग्जाम करने का आदेश दिया। लेकिन इस दौरान यह बात सामने आई कि 30 अन्य एग्जाम सेंटर पर भी क्वेश्चन पेपर बांटने में देरी हुई है। इसके अलावा कुछ सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे।
कैसे आगे बढ़ा विरोध प्रदर्शन?
छात्रों ने पटना में विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इसमें एग्जाम की दोबारा जांच और छात्रों के खिलाफ दर्ज की गई FIR को वापस लेने की मांग की गई। इस बीच एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्र सोनू कुमार ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। इससे आंदोलन और ज्यादा भड़क गया।
पुलिस ने छात्रों पर लाठी चार्ज कर दिया और इसमें एक दर्जन से ज्यादा छात्रों को चोटें आई। इसके बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर गर्दनीबाग में छात्रों के बीच पहुंच गए।
गांधी मैदान में 15000 से ज्यादा छात्र जमा हुए हुए मुख्यमंत्री से मिलने की मांग करने लगे। नीतीश सरकार ने कहा कि छात्र अपनी मांगों पर चर्चा के लिए मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मिल सकते हैं। जन सुराज पार्टी के नेता आरके मिश्रा ने छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मीणा से मुलाकात की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद ऐतिहासिक गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन शुरू कर दिया।
बीपीएससी के एक अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि “हम अपने फैसले पर कायम हैं। छात्रों और मुख्य सचिव के बीच बातचीत हो चुकी है। बीपीएससी तथ्यों और तर्कों के आधार पर फैसला लेती है न कि आरोपों और विरोध प्रदर्शनों के आधार पर।”
इस बीच, गांधी मैदान में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
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