असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि नशीले पदार्थों की तस्करी पर कार्रवाई और गोहत्या पर रोक लगाने की तिलमिलाहट के कारण हिंसा की घटना हुई है। उन्होंने मिजोरम के सीएम ज़ोरामथांगा से आग्रह किया है कि इस मामले की जांच हो कि पुलिस पर हमला करने के लिए नागरिकों को बुलेटप्रूफ जैकेट और राइफल कैसे मिली?
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि उनका राज्य संसद से पारित किसी भी कानून का पालन करेगा और यदि कानून ने कहा तो दूसरे राज्य को अपनी भूमि तक सौंप देगा, लेकिन ऐसा होने तक ‘‘एक इंच अतिक्रमण’’ नहीं होने देगा। सरमा की तरफ से यह टिप्पणी मिजोरम के साथ लगती सीमा पर संघर्ष में असम के पांच पुलिसकर्मियों एवं एक आम नागरिक की मौत के एक दिन बाद सामने आयी है।
उन्होंने यह भी कहा कि असम सरकार ‘इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व’ को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएगी तथा मिजोरम की सीमा से लगते कछार, करीमगंज तथा हैलाकांडी जिलों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगी।
मुख्यमंत्री ने मारे गए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सीमा निर्धारण करना केंद्र का दायित्व है और हम इसका पालन करेंगे…यदि कल संसद कोई ऐसा कानून लाती है जिससे हमारी जमीन दूसरे राज्य को जा सकती है तो हम यह करेंगे, लेकिन तब तक हम अपनी संवैधानिक सीमा की रक्षा करेंगे।’’ उन्होंने सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का दौरा भी किया और हमले में घायल पुलिसकर्मियों से मुलाकात की। असम ने घटना के बाद तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
सरमा ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि मिजो लोग इस बात के लिए पश्चाताप करेंगे कि उन्होंने अपने देश के लोगों पर गोलीबारी की, लेकिन हम इसे उनके विवेक और अंतरात्मा पर छोड़ रहे हैं। यह दो राज्यों के बीच का विवाद है, न कि देशों के बीच की लड़ाई। लेकिन हमारे पास मौजूद वीडियो सबूत, जिसमें मिजो बल हमारे लोगों पर हमले के बाद जश्न मनाते दिखते हैं, से हमें दुख पहुंचा है।’’