2020-21 के दौरान केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने साल भर आंदोलन चलाया था। बाद में केंद्र सरकार को इन तीनों कानूनों को निरस्त करना पड़ा। इसके बाद से देखा जा रहा है कि किसान आंदोलन के चलते हरियाणा में किसान संगठनों का मनोबल बढ़ा है। अब हरियाणा में नियमित रूप से किसान अपने अधिकारों की मांग के लिए या फिर अपने हितों से संबंधित कई मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं। इससे सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो रही है।

किसानों के प्रदर्शन के चलते अधिकारियों को भी उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बता दें कि हरियाणा के अलग-अलग क्षेत्रों में इससे जुड़े कुछ हालिया उदाहरण देखें तो किसानों ने अपनी क्षतिग्रस्त फसलों के मुआवजे की मांग के साथ उनके खेतों में पर्याप्त मुआवजा दिए बिना हाईटेंशन बिजली के टावर लगाने के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। इसके अलावा सशस्त्र बलों में सैनिकों की 4 साल के लिए भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के खिलाफ भी किसानों ने आंदोलन छेड़ा है।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश बैंस का कहना है, “तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की जीत ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है कि अगर वे लंबे समय तक संघर्ष करने के लिए तैयार हैं, तो वे जीत सकते हैं। किसान आंदोलन की सफलता ने उन्हें संगठित होने के लिए प्रेरित किया है। इसलिए ग्रामीण स्तर पर किसान संगठनों की अधिक इकाइयां सामने आई हैं।”

हरियाणा में हिसार जिले के बालसमंद गांव में किसान 64 दिनों से धरने पर बैठे हैं। स्थानीय किसान संगठन, संयुक्ता किसान संघर्ष समिति का कहना है कि प्रशासन ने उनकी खरीफ फसलों (2020) के नुकसान के लिए 6,500 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने का आश्वासन दिया है। ऐसे में अधिकारियों ने किसानों को एक सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि उनके खातों में जमा कराने का विश्वास दिलाया है। जिसके बाद शुक्रवार को उन्होंने अपना धरना एक महीने के लिए स्थगित कर दिया।

वहीं करनाल के बांद्राला गांव के किसानों ने अपने खेतो में हाईटेंशन पावर ट्रांसमिशन टावर और लाइन लगाने पर विरोध जताया। नाराज किसानों ने अपने खेतों में खोदे गड्ढों को भर दिया। उनकी मांग है कि खेतों में टावरों को लगाने के लिए उन्हें पर्याप्त मुआवजा मिले। वहीं अधिकारियों ने कहा कि वे मौजूदा सरकार की नीति के अनुसार उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार हैं।

इसके अलावा केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ जून के अंतिम सप्ताह में युवाओं और किसानों के एक समूह ने भिवानी गांव से हिसार गांव तक 60 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू की।

ऐसे कई मुद्दे हैं, जिसको लेकर हरियाणा में किसान प्रदर्शन के जरिए अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं। माना जा रहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के चलते किसान अधिक संगठित हुए हैं और अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए धरने का सहारा ले रहे हैं।