रीतू तोमर
हिंदी साहित्य में कहानियां हमेशा से ही पाठक वर्ग पर एक अलग छाप छोड़ती आई हैं। पाठकों का कहानियों की ओर रुझान लेखकों को अधिकाधिक कहानियां लिखने के लिए प्रेरित करता रहा है। इसी दिशा में रामनाथ राजेश की किताब ‘वाट्सएप’ में विभिन्न परिवेश की कहानियों का संग्रह मौजूद है।
पेशे से पत्रकार रामनाथ राजेश की किताब ‘वाट्सएप’ ऐसे समय में पाठकों के बीच आई है, जब वाट्सएप लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। इस कहानी संग्रह में 11 कहानियां हैं, जिन्हें बड़े कायदे से एक सूत्र में पिरोकर पेश किया गया है। पुस्तक का नाम भी युवाओं को ध्यान में रखकर एकदम सटीक रखा गया है।
इस पुस्तक में युवाओं सहित हर उम्र के पाठक वर्ग के लिए कहानियों का भंडार मौजूद है। रामनाथ राजेश की लेखनी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब एक अध्ययनशील पत्रकार लेखक की भूमिका में आता है तो तथ्यों एवं विश्लेषणों का अद्भुत समायोजन पेश करता है।
ये कहानियां बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश का आईना है। इस किताब की प्रत्येक कहानी एक-दूसरे से कमोबेश भिन्न है लेकिन ये कहानियां कहीं न कहीं एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी पाठकों को बांधने में कामयाब हुई हैं।
पुस्तक की खास बात यह है कि लेखक ने अपने जीवन के कुछ अनुभवों को कहानियों के रूप में पेश किया है। किताब की कुछ प्रमुख कहानियों की बात करें तो इसकी पहली कहानी ‘बन्द के आगे का रास्ता’ में शहर में बंद के बीच अपने पति की जिंदगी के लिए जूझती महिला का वर्णन किया गया है।
‘रिपोर्टर’ कहानी में पेशेवर और निजी जिंदगी के बीच चक्की में पिसते एक रिपोर्टर की भावनाओं को बड़े ही सलीके से पेश किया गया है। कहानी का नायक रिपोर्टर फ्लैशबैक में अपने प्यार के साथ बिताए पलों को याद करता है। कहानी के ‘मेरी किरण जिंदा है’ जैसे डायलॉग आपको अंदर तक झकझोर देने के लिए काफी है।
पुस्तक की एक अन्य कहानी ‘हरमिया’ को इस पुस्तक की प्राणवायु माना जा सकता है। आईएएस बनने की चाह रखने वाला युवा बिचौलियों के बीच फंसते हुए किस तरह हरमिया बनने को मजबूर होता है। अपने सपनों को अपनी आंखों के सामने टूटते देखना किस कदर कष्टदायी होता है लेखक इसके अपनी लेखनी से पन्नों पर उतारने में सफल रहे हैं।
इसी तरह वाट्सएप कहानी में वाट्सएप से पिता-बेटी के जिंदगी में आए बदलावों और उन बदलावों से रिश्तों में उतार-चढ़ाव से पाठक वर्ग अछूता नहीं रह पाएगा। कुल मिलाकर जिन्दगी के उत्साह, उम्मीद, निराशा, तनाव आदि विविध गाढ़े-फीके रंगों और उन पर मनुष्य की प्रतिक्रियाओं का बखूबी चित्रण इन कहानियों में किया गया है।
इसी तरह अन्य कहानियों में ‘केंचुल’, ‘कटनिहार’, ‘फेनुस’, ‘एक अनजाने गांव’ जैसी कहानियां कहीं आपको रोने, कहीं हंसने और कहीं-कहीं सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं। कहानियों की भाषा शैली की बात करें तो रामनाथ राजेश की भाषा काफी लचीली है, जिसमे वे बातचीत के अंदाज में ही अपनी बातें बड़ी सहजता से कहने में सक्षम हैं।
बहरहाल, कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि रामनाथ राजेश की इस पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपनी बनावट (डिजाइन) में ही एकदम अनूठी है। इस एक ही पुस्तक में विभिन्न पाठक वर्गों के लिए कुछ न कुछ मौजूद है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक किसी को भी यह निराश नहीं करने वाली। उम्मीद है कि इस पुस्तक से अन्य लेखकों को भी कुछ नया रचने की प्रेरणा मिलेगी।