बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने सोशल मीडिया पोस्टों के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा को कथित रूप से निशाना बनाने के लिए एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। जस्टिस सुनील शुकरे और एमजे जमादार की पीठ ने गुरुवार को कहा कि आरोपी सुरेश घूसर वर्तमान में नासिक के मनमाड में पुलिस स्टेशन अधिकारी हैं, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था और इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया गया।
पिछले साल दर्ज हुई थी रिपोर्ट: पिछले साल 12 अप्रैल को भंडारा थाने में शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कथित तौर पर घूसर के कुछ फेसबुक पोस्टों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। श्रीवास्तव ने दावा किया कि घूसर एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनके पोस्ट जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 129 का उल्लंघन है। उस वक्त घूसर भंडारा में स्थानीय अपराध शाखा में पुलिस निरीक्षक के रूप में तैनात थे।
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पोस्ट में पीएम मोदी के वादे का कथित रूप से था जिक्र: एक फेसबुक पोस्ट में घूसर ने कथित रूप से कहा था कि उसने यह मानकर कि 15 लाख रुपए उसके खाते में आएंगे, एक मकान का निर्माण कराना शुरू किया था, लेकिन अब उस पर 14 लाख रुपए लिए गए लोन के 72,000 रुपए का ब्याज बकाया है। आरोप है कि घूसर 2014 के आम चुनावों से पहले मोदी द्वारा किए गए वादे का जिक्र कर रहे थे।
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप को साबित करने वाले सबूत नहीं हैं: घूसर ने एफआईआर के खिलाफ कोर्ट का रुख किया था। उनके वकील अनिल धवास ने तर्क दिया कि पुलिस के पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उक्त पोस्ट घूसर ने लिखी थीं। एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए धवास ने तर्क दिया कि “घूसर किसी भी चुनाव ड्यूटी पर नहीं थे और यह टिप्पणी मोदी या किसी भी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं की गई है। यह दिखाने के लिए भी कोई सबूत नहीं है कि उक्त वादा (15 लाख रुपए जमा करने का) उनके या किसी पार्टी का था।” धवास दलील दी गई कि एफआईआर को रद्द किया जाए।