Kailash Kher: बॉम्बे हाईकोर्ट से सिंगर कैलाश खेर को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ उनके गीत ‘ बाबम बाम’ के जरिए कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया है।
जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस श्याम सी चांडक की पीठ ने लोकतांत्रिक समाज में सहिष्णुता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि असहमति के प्रति असहिष्णुता सदियों से भारतीय समाज का अभिशाप रही है, लेकिन एक स्वतंत्र समाज भिन्न विचारों को स्वीकार करके अपनी अलग पहचान बनाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिग्गज गायक के खिलाफ मामला लुधियाना के रहने वाले नरिंदर मक्कड़ की शिकायत से शुरू हुआ। जिसने खुद को भगवान शिव का भक्त बताया था। कैलाश खेर के एल्बम की सीडी खरीदने और ‘बाबम बाम’ गाना देखने के बाद उस व्यक्ति ने दावा किया कि इसकी सामग्री से उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। इसके बाद उसने लुधियाना मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि गाने में एक लड़की को खुले कपड़े पहने हुए दिखाया गया है। एक जोड़े को चूमते हुए दिखाया गया है, जो अश्लीलता है। जिसमें गायक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए और 298 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई थी, जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित है।
लुधियाना में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर शिकायत को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि खेर द्वारा गाए गए गीत के बोल भगवान शिव और उनके शक्तिशाली चरित्र की विशेषताओं की प्रशंसा के अलावा और कुछ नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हर वह कार्य जो लोगों के एक वर्ग को नापसंद हो सकता है, जरूरी नहीं कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए।
पीठ ने लेखक एजी नूरानी को उद्धृत करते हुए कहा कि आज के समय की रूढ़िवादिता से असहमति को बर्दाश्त न करना सदियों से भारतीय समाज का अभिशाप रहा है। लेकिन असहमति के अधिकार को उसकी मात्र सहिष्णुता से अलग स्वीकार करने में ही स्वतंत्र समाज अपनी अलग पहचान बनाता है।
आदेश में पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए, व्यक्ति द्वारा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया प्रयास होना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि खेर के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि वह वीडियो में कुछ कम कपड़े पहने लड़कियों के साथ नाच रहे हैं, जो शिकायतकर्ता के अनुसार अश्लील है और इसलिए उनकी धार्मिक भावनाओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। कोर्ट ने कहा कि खेर के खिलाफ अपराध नहीं बनता है क्योंकि उनकी ओर से कोई जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था, वह सिर्फ गाना गा रहे थे।
खेर ने 2014 में हाई कोर्ट का रुख किया था जब पंजाब के लुधियाना न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उस समय हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा था कि गायक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
अधिवक्ता अशोक सरोगी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में खेर ने कहा कि वह केवल गाने के गायक हैं और वीडियो को सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट के माध्यम से किसी अन्य कंपनी द्वारा कोरियोग्राफ किया गया था। सरोगी ने तर्क दिया था कि गाने का वीडियो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद ही जारी किया गया था।
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