दाभोलकर हत्याकांड में बांबे हाईकोर्ट ने CBI और SIT को आड़े हाथ लेते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि वे कब तक अपनी जांच पूरी कर लेंगी। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वारदात को 7 साल हो चुके हैं पर लचर जांच की वजह से इस मामले की सुनवाई भी शुरू नहीं की जा सकी है।
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस पी. मनीष का पारा उस समय ज्यादा चढ़ गया जब उन्हें बताया गया कि कर्नाटक में कन्नड लेखक एमएम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश से जुड़े मामलों का ट्रायल भी शुरू हो चुका है। बेंच ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि दाभोलकर की हत्या 2013 में हुई। हम 2021 में भी मामले की जांच पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। कर्नाटक की वारदातें इसके बाद हुईं और वहां ट्रायल शुरू भी हो चुका है। कोर्ट ने सवाल किया कि सारे मामले एक तरह के हैं तो महाराष्ट्र में अभी तक दाभोलकर मामले की सुनवाई शुरू क्यों नहीं हो पा रही है।
बांबे हाईकोर्ट दाभोलकर और CPI नेता गोविंद पानसरे की हत्या से जुड़ी जांच की निगरानी कर रहा है। दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में हत्या कर दी गई थी। जबकि पानसरे को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को गोली मार दी गई थी। वारदात के चार दिन बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। कन्नड लेखक कलबुर्गी को 30 अगस्त 2015 को गोली मारी गई थी। जांच एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन तीनों मामलों के साथ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के तार दक्षिण पंथी चरमपंथियों से जुड़े हुए हैं। लंकेश की हत्या 2017 में हुई थी।
दाभोलकर और पानसरे के परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके अपील की थी कि अदालत अपनी निगरानी में जांच कराए। दाभोलकर मामले में आखिरी बार सुनवाई फरवरी 2020 में हुई थी। उस दौरान केस एक नई बेंच के समक्ष रखा गया था। बेंच का गठन इसी मामले की सुनवाई के लिए किया गया था। दाभोलकर परिवार के वकील अभय नेगी ने कोर्ट को बताया था कि महाराष्ट्र ATS ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चारों मामलों के तार आपस में जुड़े हैं। नेगी ने कोर्ट को बताया कि CBI ने चार आरोपियों के खिलाफ तीन चार्जशीट दाखिल की हैं, वहीं SIT की जांच अधर में है।
CBI की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि उन्हें जो काम दिया गया था, उसे पूरा कर लिया गया है। मर्डर वेपन की तलाश के लिए थाने की खाड़ी में तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी है। उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने के लिए कोर्ट से कुछ समय मांगा। SIT की पैरवी कर रहे वकील मनकंवर देशमुख ने कोर्ट को बताया कि स्टेटस रिपोर्ट जल्दी दाखिल कर दी जाएगी।
बेंच ने कहा कि संवेदनशील मामलों में देश के नागरिकों को जानने का हक है कि जांच एजेंसी कब इन मामलों की जांच पूरी करेगी और कब मामले की सुनवाई शुरू होगी। कोर्ट का कहना था कि अगली सुनवाई में उन्हें पुख्ता रिपोर्ट चाहिए। एजेंसियां बताएं कि उनका इन मामलों में क्या कहना है। बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा। जस्टिस शिंदे ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि आप लोग यह कह सकते हैं कि कोर्ट बहुत ज्यादा सख्ती दिखा रहा है।