रिलीज की अनुमति से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म को देखेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म को देखेगा और उसके निर्माताओं की याचिका पर फैसला सुनाएगा। फिल्म के निर्माताओं ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) पर प्रमाणन में देरी और इनकार का आरोप लगाया गया है।

अदालत ने फिल्म निर्माताओं को निर्देश दिया कि वे फिल्म की एक कॉपी जमा करें जिसमें उन दृश्यों या अंशों को चिह्नित किया गया हो जिन पर सीबीएफसी ने आपत्ति जताई है। फिल्म “अजय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ ए योगी” के निर्माता सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले महीने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

शांतनु गुप्ता की किताब पर आधारित है फिल्म

याचिकाकर्ता ने कहा था कि शांतनु गुप्ता द्वारा लिखित किताब “द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर” से प्रेरित यह फिल्म 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी। निर्माताओं ने यह भी तर्क दिया था कि जिस पुस्तक से फिल्म को प्रेरणा मिली है, उसे यूपी के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) द्वारा आधिकारिक रूप से समर्थन दिया गया है।

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याचिकाकर्ता ने पिछले महीने दायर याचिका में आरोप लगाया कि सीबीएफसी ने फिल्म, टीज़र, ट्रेलर और प्रचार के लिए उनके आवेदन पर कार्रवाई करने में अनुचित तरीके से देरी की है। उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने 5 जून को फिल्म के प्रमाणन के लिए आवेदन किया था तो सीबीएफसी को सात दिनों के भीतर उनके आवेदन की जांच करने और 15 दिनों के भीतर इसे स्क्रीनिंग के लिए भेजने की आवश्यकता थी। हालांकि, लगभग एक महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

CBFC ने फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया

सीबीएफसी को फिल्म देखने और प्रमाणन पर निर्णय लेने के लिए 1 अगस्त को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद, बोर्ड ने 6 अगस्त को एक आदेश पारित किया, जिसमें फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया गया। आदेश में कहा गया कि यह सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के प्रमाणन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है।

7 अगस्त को, न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति नीला के गोखले की पीठ ने याचिकाकर्ता को सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति के समक्ष आवेदन दायर करने का निर्देश दिया और बोर्ड से कहा कि वह 11 अगस्त तक याचिकाकर्ता को फिल्म की आपत्तिजनक सामग्री या संवादों के बारे में सूचित करे। याचिकाकर्ता से यह भी पूछा गया कि क्या निर्माता फिल्म के कुछ हिस्सों को हटाना या उनमें बदलाव करना चाहते हैं।

सीबीएफसी पैनल ने फिल्म पर 29 आपत्तियां उठाईं

सीबीएफसी पैनल ने 29 आपत्तियां उठाईं। हालांकि, निर्माता 12 अगस्त तक बोर्ड को बदलावों पर जवाब नहीं दे सके, जिसके बाद सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति ने फिल्म देखी। पैनल ने 8 आपत्तियों को खारिज कर दिया, लेकिन 17 अगस्त को फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने पुनरीक्षण समिति की अस्वीकृति को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन किया।

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हालांकि, निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम ने तर्क दिया कि पुनरीक्षण समिति के फैसले ने याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। बोर्ड ने मनमाने ढंग से निर्माताओं को फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने से पहले एक निजी व्यक्ति (योगी आदित्यनाथ) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि अगर निर्माताओं के पास अपील दायर करने का कोई वैकल्पिक उपाय भी हो तो भी उसे यह पता लगाना होगा कि क्या वर्तमान रिट याचिका विचारणीय है। न्यायाधीशों ने कहा कि वे आगे का आदेश देने से पहले फिल्म देखेंगे और अगली सुनवाई 25 अगस्त को निर्धारित कर दी।