Johnson Baby Powder Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के नमूनों के नए सिरे से परीक्षण किए जाने का आदेश दिया है। हालांकि कंपनी को इसके बनाने पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन इसे बेच नहीं सकती है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सितंबर में इसका लाइसेंस रद्द करने और बेबी पाउडर के उत्पादन और बिक्री को तत्काल बंद करने के लिए कहा था। सरकार की ओर से संयुक्त आयुक्त और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) के लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने रोक लगाने को कहा था।

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इस आदेश के खिलाफ कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में केस कर दिया था। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एस जी डिगे की खंडपीठ ने बुधवार को संयुक्त आयुक्त और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) को मुंबई के मुलुंड क्षेत्र में कंपनी के कारखाने से तीन दिनों के भीतर नए नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इन नमूनों को दो सरकारी और एक निजी प्रयोगशाला (Labs) में परीक्षण के लिए भेजा जाए। इन प्रयोगशालाओं में केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला (Central Drug Testing Laboratory, West Zone), एफडीए लैब (FDA Lab) और इंटरटेक लैबोरेटरी (Intertech Laboratory) शामिल हैं। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर अपनी परीक्षण रिपोर्ट देने को भी कहा है।

कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रवि कदम ने कोर्ट से मांग की कि कंपनी इसको बेचेगी नहीं, लेकिन उनको इसके उत्पादन से नहीं रोका जाए। कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि सरकार ने आपको बेचने से रोका है, और आपको इसका पालन करना होगा। अगर कंपनी इसका उत्पादन करना चाहती है तो उसे इसे अपने जोखिम पर करना होगा।

पाउडर में तय मानक से अधिक पीएच लेवल पाया गया

दरअसल सरकार ने कोलकाता में सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी की रिपोर्ट के आधार पर इस पर रोक लगाए जाने का आदेश दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाउडर में तय मानक से अधिक पीएच लेवल पाया गया था।

अमेरिकी जांच में पाउडर में कैंसर पैदा करने वाले फाइबर मिले

पिछले दिनों ‘द गार्जियन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया था जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के एक नमूने में कार्सिनोजेनिक क्राइसोटाइल फाइबर और खतरनाक एस्बेस्टस पाए गए। इस फाइबर से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है। इस फाइबर को कैंसर का कारण माना जाता था। रिपोर्ट यूएस ड्रग कंट्रोल एजेंसी की जांच पर आधारित थी।