बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर के बाद उर्मिला मांतोडकर ने भी सीएए बिल का विरोध किया है। उर्मिला ने इस बिल की तुलना अंग्रेजों द्वारा लागू रॉलेक्ट एक्ट से की है। उर्मिला ने कहा, ” 1919 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ती के बाद ब्रिटिश जानते थे कि भारत में समाजिक असंतोष फैल रही है और युद्ध समाप्त होने के बाद यह बढ़ सकता है। इसलिए उन्होंने रॉलेक्ट एक्ट लाया। साल 1919 का वह नियम और 2019 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को इतिहास में काले कानूनों के रूप में दर्ज किया जाएगा।”
उर्मिला ने रॉलेक्ट एक्ट कानून लागू होने का समय तो सही बताया है लेकिन वे यहां पर एक गलत बात कह गईं। द्वितीय विश्व युद्ध नहीं, प्रथम विश्व युद्ध 1919 में समाप्त हुआ था।
क्या है रॉलेक्ट एक्ट
रॉलेक्ट एक्ट को भारतीय इतिहास में काला कानून भी कहा जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार रॉलेक्ट एक्ट (The Anarchical and Revolutionary Crime Act, 1919) लाया गया था।
इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में मुकदमा चलाए बिना उसे जेल में बंद कर सके। इस क़ानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन हुए थे।
उर्मिला मातोडकर की गलती पर सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। अविनाश श्रीवास्तव go4avinash ने लिखा, “लेकिन उर्मिला जी, द्वितीय विश्व युद्ध तो 1939 में शुरू हुआ था। यह 1919 में समाप्त कैसे हो गया। ऐसा लगता है कि आप व्हाटसप पर काफी ज्यादा निर्भर हैं।”
टि्वटर यूजर @RiseofBurnol ने लिखा, “एक बार फिर से अपने आप को कांग्रेसी साबित करने के लिए धन्यवाद।” मुंबई इंडियन @memumbaiindian1 ने लिखा, “सबसे पहले उर्मिला जी आप द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में अपनी जानकारी को सुधारिए। और यदि आपको ऐसे कानून से बहुत ज्यादा समस्या है तो सीरिया चले जाइए। वहां जन्नत है।”

