वाकया 1973 का है। बीआर चोपड़ा के स्टोरी रूम में एक उभरते कलाकार को कहानी सुनाई जा रही थी। कलाकार पुणे फिल्म संस्थान से अभिनय की पढ़ाई करके निकला था। चोपड़ा का जब पुणे के इस संस्थान में जाना हुआ था, तो उन्होंने इस कलाकार से वादा किया था कि वह उसे समय आने पर मौका देंगे। संस्थान से निकलने के बाद दो फिल्में कर चुका यह कलाकार चोपड़ा साब के यहां पहुंचा था और उसने बीआर चोपड़ा को उनका वादा याद दिलाया था। लिहाजा चोपड़ा ने उसे अपने स्टोरी डिपार्टमेंट के लेखकों के बीच बिठा दिया था।

फिल्म की कहानी शेर से लड़ाई में दोनों पांव गंवा चुके गुस्सैल पति की थी, जो बात बात में गोली चलाता रहता था। उसके व्यवहार से तंग आई बीवी एक वकील से इश्क करने लगती है। एक दिन पति की हत्या हो जाती है और लाश के पास खड़ी पत्नी के हाथ में रिवॉल्वर होता है। पत्नी पति की हत्या करना स्वीकार करती है। पुलिस इंस्पेक्टर आकर मामले की जांच शुरू करता है।

कहानी सुनाने के बाद चोपड़ा ने कहा कि इस फिल्म में इंस्पेक्टर की भूमिका वह कलाकार को देना चाहते हैं। फिल्म संस्थान में दुनिया भर में बनी बेहतरीन फिल्में देखकर निकले कलाकार ने कहा कि वह तो पति की भूमिका अच्छी तरह कर सकता है। मगर चोपड़ा साब ने कहा कि यह भूमिका तो अमिताभ बच्चन को दी जा चुकी है। वह चाहे तो इंस्पेक्टर की भूमिका कर सकता है। मगर कलाकार जिद पर अड़ा था कि करेगा तो पति की भूमिका ही। इस बीच संयोग से अमिताभ बच्चन ने फिल्म छोड़ दी। कलाकार चोपड़ा साब के पास पहुंच गया। चोपड़ा साब ने झुंझलाते हुए कहा कि अमिताभ बच्चन के निकलने के बाद उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा को इस भूमिका के लिए ले लिया है। करना है तो इंस्पेक्टर की भूमिका कर लो। बात आई गई हो गई।

कुछ दिन बाद खबर आई कि फिल्म से शत्रुघ्न सिन्हा निकल गए हैं। कलाकार फिर बीआर चोपड़ा के पास गया और कहने लगा कि अब तो आप मुझे पति की भूमिका दे सकते हैं। कलाकार जिद पर अड़ा था। चोपड़ा साब ने समझाया कि अपंग, गुस्सैल और कुंठित पति की भूमिका छोटी-सी है जबकि इंस्पेक्टर की भूमिका पूरी फिल्म में है और लंबी है। मगर कलाकार पर जुनून सवार था कि करेगा तो गुस्सैल पति की भूमिका ही। अतिउत्साह में कलाकार ने अपनी तरफ से एक-दो सीन भी करके बताए कि वह कैसे इस भूमिका में जान डाल देगा।

कलाकार के जुनून को देखते हुए आखिर बीआर चोपड़ा को अपना निर्णय बदलना पड़ा। उन्होंने इंस्पेक्टर की भूमिका मदन पुरी को दे दी। जब फिल्म रिलीज हुई तो लोग कलाकार के साथ-साथ फिल्म में पत्नी पर प्लेट फेंकने वाले उस दृश्य की प्रशंसा कर रहे थे जो कलाकार ने अपनी तरफ से जोड़ा था। यह फिल्म थी ‘धुंद’ और कलाकार थे त्सेरिंग फिंत्सो डैनी डैंग्जोंग्पा यानी डैनी। ‘धुंध’ के बाद डैनी की गाड़ी फिल्मों में दौड़ने लगी थी।