पिछले दिनों तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में जहरीली शराब पीने से 63 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, 135 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी और अवैध शराब विक्रेता सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पास से जब्त की गई करीब 200 लीटर अवैध शराब की जांच में सामने आया कि उसमें घातक ‘मेथनाल’ मौजूद था। उत्तरी तमिलनाडु के ही मरक्कनम और मधुरांतकम में 2023 में भी जहरीली शराब ने कई जिंदगियों को लील लिया था। तब भी जांच से पता चला था कि औद्योगिक मेथनाल को अवैध चुलाई कुटीर उद्योग में भेजा जा रहा था।

जहरीली शराब का अवैध कारोबार देशभर में फल-फूल रहा है, जिसमें पुलिस की भूमिका सदा संदिग्ध रही है। हालांकि कभी-कभार छापेमारी कर जिस प्रकार शराब तस्करों से बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद होती है, उससे स्पष्ट होता रहा है कि जहरीली शराब का अवैध धंधा ताकतवर लोगों के संरक्षण में ही तेजी से फल-फूल रहा है। इसी वर्ष 22 मार्च को पंजाब के संगरूर में भी जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की मौत हो गई थी। पंजाब तो वैसे भी नशाखोरी के लिए बदनाम रहा है। वहां 31 जुलाई, 2020 को तरनतारन में अवैध शराब पीने से 102 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि खड़ूर साहिब के पंडोरी गोला गांव में 48 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। देश के विभिन्न राज्यों में लोग अक्सर अवैध रूप से बनाई जाने वाली नकली शराब पीकर मौत के मुंह में समा जाते रहे हैं, लेकिन प्रशासन की भूमिका प्राय: ऐसे अवैध धंधों में लिप्त लोगों पर शिकंजा कसने के बजाय दिखावे के तौर पर कार्रवाई करने तक ही सीमित रहती है।

चिंता का विषय है कि देश की सरकारों के लिए यह कभी कोई बड़ा मुद्दा नहीं बनता, न ही कभी यह चुनावी मुद्दा बनता है। जहरीली शराब पीने के कारण अक्सर लोगों के मौत के मुंह में समाने की खबरें सुर्खियां बनती हैं, लेकिन कुछ दिन हो-हल्ला मचने के बाद सब शांत हो जाता है और इस अवैध गोरखधंधे पर लगाम कसने के कोई गंभीर प्रयास प्रशासन द्वारा नहीं किए जाते। जहरीली शराब पीने से हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की मौतें होती हैं और सैकड़ों परिवार उजड़ जाते हैं, इसलिए राज्य सरकारें इस अवैध कारोबार को लेकर अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ सकतीं।

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कुछ समय पूर्व तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने बताया था कि भारत में 2016 से 2020 के बीच अवैध और नकली शराब पीने से 6172 लोगों की मौत हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 1054, 2017 में 1510, 2018 में 1365, 2019 में 1296 और 2020 में 947 लोगों की मौत अवैध और नकली शराब पीने से हुई थी। अवैध और नकली शराब से मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 1214 मौतें हुर्इं, उसके बाद कर्नाटक में 909 तथा तीसरे नंबर पर पंजाब में 725 लोगों की मौत हुई। हरियाणा में 476 लोगों और उत्तर प्रदेश में इस दौरान 291 लोगों की मौत हुई थी। उन पांच वर्षों में देश की राजधानी दिल्ली में 94 लोगों की मौत हुई थी, जबकि शराबबंदी वाले राज्य गुजरात और बिहार में भी उस दौरान क्रमश: 50 और 21 लोग मारे गए थे।

वर्षवार आंकड़े देखें तो राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रपट के अनुसार 2021 में जहरीली शराब के कारण देशभर में 782 लोगों की मौत हुई थी, सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 137, पंजाब में 127, मध्यप्रदेश में 108, कर्नाटक में 104, झारखंड में 60 और राजस्थान में 51 मौतें हुर्इं। कोरोनाकाल के दौरान 2020 में देशभर में जहरीली शराब से 947 लोगों की जान गई, जिनमें मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 214, झारखंड में 139, पंजाब में 133, कर्नाटक में 99 और छत्तीसगढ़ में 67 लोगों ने जान गंवाई। 2019 में 1296 लोगों की मौत हुई और सबसे ज्यादा 268 लोगों की मौत कर्नाटक में, पंजाब में 191, मध्यप्रदेश में 190, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 115-115, असम में 98 और राजस्थान में 88 लोगों ने दम तोड़ा। 2018 में 1365 मौतों में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 410, कर्नाटक में 218, हरियाणा में 162, पंजाब में 159, उत्तर प्रदेश में 78, छत्तीसगढ़ में 77 और राजस्थान में 64 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई।

कच्ची शराब आमतौर पर गुड़, पानी, यूरिया आदि से बनाई जाती है, जिसमें कई ऐसे रसायन भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इसे लंबे समय तक रखने से कई बार इसमें कीड़े पैदा हो जाते हैं, जो शराब को जहरीली बना देते हैं। देसी शराब बनाने के लिए सामान्यतया गन्ने या खजूर का रस, शक्कर, शोरा, महुआ के फूल, जौ, मकई, सड़े हुए अंगूर, आलू, चावल, खराब संतरे आदि का इस्तेमाल होता है। स्टार्च वाली इन चीजों में यीस्ट मिलाकर फर्मेंटेशन कराया जाता है और इन्हें सड़ाने के लिए आक्सीटाक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें नौसादर, बेशरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है। ये चीजें नपुंसकता बढ़ाती और तंत्रिका तंत्र पर दुष्प्रभाव डालती हैं। इन्हें मिट्टी में गाड़ने के बाद भट्टी पर चढ़ाया जाता है और इससे निकलने वाली भाप से देशी शराब तैयार होती है, जिसे और नशीला बनाने के लिए मेथनाल मिलाया जाता है।

अवैध रूप से उत्पादित शराब प्राय: खराब गुणवत्ता वाले कच्चे माल और अस्वच्छ परिस्थितियों में बनाई जाती है। कानून के रक्षकों की नाक तले देश के विभिन्न ग्रामीण अंचलों में अवैध शराब निकालने की भट्ठियां चलती रहती हैं। इन्हीं भट्ठियों में अवैध रूप से चोरी-छिपे शराब बनाई और बेची जाती है, जो काफी सस्ती, मगर उतनी ही खतरनाक भी होती है। अवैध शराब का जहरीला धंधा इसीलिए तेजी से फलता-फूलता है कि सस्ती और खुली शराब पाने के लालच में लोग खुद-ब-खुद उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं, लेकिन सस्ती शराब के कारण कोई अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठता है, तो कोई अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर बैठता है।

नकली शराब पीकर मरने वाले ज्यादातर गरीब तबके के लोग होते हैं, जो कम पैसे में नशे की पूर्ति के लिए ऐसी शराब खरीदते हैं। जहरीली शराब से लोगों की मौत होने पर उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाता है। यही कारण है कि नकली शराब बनाने वालों के खिलाफ ऐसे कठोर कदम उठाने की मांग होती रही है, जो दूसरों के लिए भी नजीर बने। अवैध शराब का कारोबार कमोबेश हर राज्य की समस्या है और चोरी-छिपे नकली शराब बनाने और बेचने वाले हर कहीं मौजूद हैं, इसलिए जब तक इस अवैध धंधे की बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जाएगा, तब तक जहरीली शराब इसी प्रकार लोगों को बेमौत मारती रहेगी।