शराब पीना देश में प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन शराब पीकर गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है। हालांकि इस कानून का उल्लंघन आम रहा है। आए दिन कोई न कोई मामला ऐसा आता है, जिसमें शराब के नशे में गाड़ी चलाने से या तो खुद चालक हादसे का शिकार हो जाता है या आम जनता को क्षति पहुंचाता है। एक रपट के अनुसार, भारत में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें 95 फीसद 18 से 49 वर्ष के बीच की आयु के हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग दो लाख सड़क दुर्घटनाएं प्रतिवर्ष होती हैं, जिनमें से 75 फीसद की वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है। इन आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है। बीते कुछ महीनों में शराब पीकर गाड़ी चलाने के अनेक मामले सामने आए, जिनमें अधिकतर रईस घरों के बच्चे शामिल थे, अधिकतर नाबालिग। उन सभी ने नशे में धुत होकर गाड़ी चलाई और लोगों को कुचल डाला।

मई में मुंबई में पोर्शे कार हादसे में नाबालिग ने दो को कुचल दिया था

मई माह में मुंबई में पोर्शे कार दुर्घटना मामला सामने आया, जिसमें आरोपों के मुताबिक, नाबालिग ने गाड़ी से दो लोगों को कुचल दिया, मगर शुरुआत में उसे सजा के नाम पर सिर्फ निबंध लिखने को कहा गया था। उसके कुछ दिनों बाद महाराष्ट्र के नागपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में टक्कर मार कर भाग जाने की घटना सामने आई। आरोप है कि एक इंजीनियर ने अपने कुछ दोस्तों के साथ पहले जन्मदिन के जलसे में शराब पी और फिर मौजमस्ती के दौरान कार चलाते हुए नियंत्रण खो दिया, जिससे कार फुटपाथ पर सो रहे लोगों पर चढ़ गई। इसमें दो की मौत हो गई। दोनों मामलों में समान बात यह है कि दोनों ही हत्या के आरोपी नाबालिग हैं।

मुंबई में राजनेता के बेटे ने एक महिला को बीएमडब्लू कार से कुचल दिया

मुंबई में ही एक राजनेता के बेटे पर आरोप लगा कि एक महिला को अपनी बीएमडब्लू कार से कुचल दिया। दुपहिया वाहन पर सवार उस महिला को डेढ़ किलोमीटर तक अपनी कार से घसीटता हुआ ले गया। बाद में अपने साथी के सहयोग से उसे गाड़ी से उतार कर सड़क पर फेंक दिया और फिर से उसे गाड़ी से कुचलते हुए भाग गया। सात घंटे बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ा। मगर न्याय के रूप में शराबखाने पर बुलडोजर चला और पिता को पार्टी ने पद से हटा दिया। सोचने की बात है कि कुछ लोगों की मनमर्जी आम लोगों पर भारी क्यों पड़ रही है। क्या किसी राहगीर की जान इतनी सस्ती है?

भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाने के खिलाफ बहुत सख्त कानून हैं, लेकिन अमीर और रसूखदार लोगों में इनकी परवाह प्राय: नहीं देखी जाती। भारतीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत नशे में पहली बार गाड़ी चलाने पर दस हजार रुपए से लेकर पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माना और छह महीने तक की कैद हो सकती है। दूसरी बार पकड़े जाने पर पंद्रह हजार से बीस हजार रुपए तक के जुर्माने और दो साल तक की कैद हो सकती है। अगर किसी को गंभीर चोट लगती है, तो जुर्माना पच्चीस हजार से पचास हजार रुपए तक और तीन साल तक की कैद हो सकती है। वहीं, शराब के नशे में कुचलने से हुई मौत की स्थिति में पचास हजार से लेकर एक लाख रुपए तक जुर्माना और दस साल तक की कैद हो सकती है। लेकिन इन सब नियमों के बावजूद नशेड़ी अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं, सड़क पर चलने वालों के लिए कब ये काल बन जाएं, पता नहीं।

देश की अर्थव्यवस्था में शराब की अहम भूमिका है। राज्यों की कमाई में राज्य जीएसटी और वैट के बाद सबसे ज्यादा हिस्सा आबकारी का ही है। जाहिर है, कोई भी सरकार कमाई के इस सबसे बड़े स्रोत को बंद नहीं करना चाहती। मगर कुछ राज्यों में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे वहां सड़क हादसों में गिरावट देखी जा रही है। वे राज्य विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं। बिहार, गुजरात, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप में शराब पर प्रतिबंध है। 1960 में बांबे से अलग होकर जब गुजरात बना, तबसे वहां शराबबंदी लागू है।

देखा जाए, तो शराबबंदी से इन राज्यों की आमदनी/ विकास कार्यों में कोई कमी नहीं आई है। शराब पीने के लिए कुछ राज्यों में उम्र की सीमा भी रखी गई है, जैसे गोवा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक में वैधानिक उम्र 18 साल है, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों में 18 से 25 की उम्र तय है। महाराष्ट्र में कानूनी उम्र 25 वर्ष है। हाल के दिनों में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना के मामले महाराष्ट्र से आए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पीने और पिलाने वालों ने नियम और कानून की किस तरह धज्जियां उड़ाई हैं।

दुनिया में भारत का शराब बाजार सबसे तेजी से बढ़ रहा है। अभी यह 52.5 अरब डालर का है। भारत का शराब बाजार सालाना आठ फीसद की रफ्तार से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में देश में शराब का उत्पादन 25 फीसद बढ़ा है। इसका महत्त्वपूर्ण कारण है शहरीकरण और लोगों की आय में बढ़ोतरी। आज हमें भी शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में कमी लाने के लिए दूसरे देशों से सीख लेनी चाहिए। ब्रिटेन में शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए अगर कोई किसी को मार डालता है तो उसे चौदह साल की जेल की सजा, असीमित जुर्माना भुगतना पड़ता है। दो साल के लिए उसका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर उसे नशामुक्ति केंद्र में भी रहना पड़ सकता है। वहां जुर्माने की रकम 2.41 लाख रुपए है, जिसे भरने के भय से ही नशा करने वाले का नशा उतर सकता है।

आस्ट्रेलिया में इसके लिए तकनीकी उपाय किए गए हैं। इसके लिए वहां ‘इग्निशन इंटरलाक सिस्टम’ का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई शराब पीकर गाड़ी में बैठता है तो इस प्रणाली की वजह से कार चालू ही नहीं होती। जिस तरह भारत में ‘ब्रेथ एनेलाइजर’ का इस्तेमाल पुलिस जांच के लिए करती है, उसी तरह आस्ट्रेलिया में गाड़ी चालू करने पर आपको ‘ब्रेथ सैंपल’ देना पड़ता है। इससे गाड़ी चलाने वालों में शराब की मात्रा का पता लगाया जाता है। इस ‘इंटरलाक सिस्टम’ में एक कैमरा भी होता है, जो नमूना देने वाले चालक की तस्वीर लेता है।

शराब एक ऐसा पदार्थ है, जो मस्तिष्क की कार्य क्षमता को कम करता है, इसके कारण सोचने-समझने, तर्क करने और मांसपेशियों के समन्वय में कमी आती है। वाहन चलाने के लिए इन सभी कौशलों की बहुत जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर रक्त में मदिरा की थोड़ी-सी भी मात्रा है, तो इससे ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है और अगर मात्रा ज्यादा है, तो गंभीर सड़क दुर्घटनाएं हो सकती हैं। नशा कर के गाड़ी चलाना कहीं न कहीं हमारी गैर-जिम्मेदाराना सोच का ही हिस्सा है। इसलिए हमें ही सोचना समझना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। नशे में गाड़ी चलाने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।