कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और केंद्र सरकार की ओर से किसानों की अन्य मांगों को माने जाने के बाद आंदोलन को स्थगति कर दिया है लेकिन किसानों की बैठकों का सिलसिला अभी भी जारी है। अब महाराष्ट्र और तमिलनाडु में किसानों की बैठक होगी। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जहां भी लोग हमें बुलाते हैं और जरूरत होती है वहां हम बैठकें आयोजित करते हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि 19 दिसंबर को महाराष्ट्र के वर्धा और 17 दिसंबर को तमिलनाडु जा रहे हैं।

किसान आंदोलन स्थगित होने की घोषणा के बाद से सिंघु सीमा से किसानों ने अपने डेरे, तंबू, झोपड़ी आदि को उखाड़ना शुरू कर दिया है। एक साल से अधिक समय तक चले इस आंदोलन से जुड़े रहने वाले किसान यहां की यादों को भी अपने साथ ले जा रहे हैं। कोई यहां उपयोग में लाई गई ईंट को तो कोई यहां की मिट्टी को अपने साथ ले जा रहा है। पंजाब के बठिंडा जिले के रामपुरा फूल गांव के रहने वाले सरबजीत सिंह अपनी बनी बनाई झोपड़ी को अपने घर ले गए।

सिंघु सीमा पर रविवार को मौजूद सरबजीत सिंह ने बताया कि हमारी यह झोपड़ी किसानों की जीत की गवाह है। साथ ही यह हमारे उस संघर्ष की भी गवाह है जो हमने एक साल तक सरकार के खिलाफ किया। सरबजीत ने बताया कि इस झोपड़ी ने हमें सर्दी, धूप और बारिश से तो बचाया ही है, हमें लगातार लड़ने की प्रेरणा भी दी है।

उन्होंने बताया कि यह झोपड़ी हमारे लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, ऐसे में भला हम इसे कैसे तोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमने इस झोपड़ी को अपने साथ बठिंडा में अपने गांव ले जाने को फैसला किया है।

रविवार को कैराना पानीपत बाईपास के पास भारतीय किसान यूनियन ने एक ‘धन्यवाद किसान महापंचायत’ का आयोजन किया, वहीं, नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा था कि किसान 15 दिसंबर तक दिल्ली सीमा पर अपना आंदोलन स्थल पूरी तरह से खाली कर देंगे।