सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंदोलनरत किसानों से रास्ता छोड़ने के लिए कहा है, जिसके बाद दिल्ली गाजियाबाद बॉर्डर पर कुछ हलचल दिखाई दी। किसान यूपी गेट फ्लाईओवर की सर्विस लेन पर लगे टेंट हटाते हुए देखे गए, इस मौके पर वहां BKU नेता राकेश टिकैत भी मौजूद थे। जब उनसे टेंट हटाने का कारण पूछा गया तो उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि अब हमें दिल्ली जाना है। टिकैत ने कहा कि हमने रास्ता नहीं रोका था, पुलिस ने रोका था, अब उन्होंने हमसे कहा कि हम अपनी बैरिकेडिंग हटा रहे हैं तो हम भी हटा रहे हैं। BKU नेता के अनुसार हम सब हटाकर दिल्ली में पार्लियामेंट के पास जाएंगे जहां किसानों के खिलाफ कानून को बनाया गया था।

वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से साफ किया है कि गाजीपुर बॉर्डर खाली नहीं किया जा रहा है। दरअसल टेंट हटाना भी एक तरह का प्रदर्शन था, यह बताने के लिए कि रास्ता किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने बंद किया है। BKU के अनुसार, किसान भाइयों में यह अफवाह फैलाई जा रही है कि गाजीपुर बॉर्डर खाली किया जा रहा है, यह पूर्णतया निराधार है, हम दिखा रहे हैं कि रास्ता किसानों ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस ने बंद किया है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान यहां से नहीं हटेंगे लेकिन लोगों को रास्ता देंगे, उन्होंने कहा कि हम यहां एक पोस्टर लगाएंगे जिस पर लिखा होगा ‘रास्ता किसानों ने नहीं बल्कि भारत सरकार ने रोका है।’

बताते चलें कि आज (गुरुवार, 21 अक्टूबर) सुप्रीम कोर्ट में नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई, याचिका में कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क बंद होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते।

जस्टिस एस एस कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी कोर्ट विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन आखिरकार कोई समाधान निकालना होगा।

बेंच ने कहा कि किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए रास्ता बंद नहीं कर सकते हैं। आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह बंद नहीं कर सकते। लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे रोक नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी।