दिल्‍ली और बिहार में मिली हार से सबक लेते हुए भाजपा ने असम में सकारात्‍मक प्रचार और हिंदू मतों को एकजुट रखने की नीति अपनाई है। इसके तहत केन्‍द्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में उतारेगी। प्रचार को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और वरिष्‍ठ मंत्री रैलियों को संबोधित करेंगे। इसमें राज्‍य के विकास के लिए पार्टी के एजेंडे को जनता के सामने पेश किया जाएगा। साथ ही केन्‍द्र सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का भी प्रचार किया जाएगा। फरवरी में कम से कम सात मंत्री असम का दौरा करेंगे। इनमें सुषमा स्‍वराज, नितिन गडकरी, नजमा हेपतुल्‍ला, धर्मेन्‍द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण, जीएम सिद्धेश्‍वर और बाबुल सुप्रियो शामिल हैं। मोदी ने 19 जनवरी को कोकराझार में रैली कर प्रचार की शुरुआत कर दी। पांच फरवरी को उन्‍होंने डिब्रुगढ़ और शिवसागर जिलों का दौरा किया। पार्टी सूत्रों के अनुसार मार्च में भी मंत्री असम जाएंगे।

पार्टी को उम्‍मीद है कि मंत्रियों के प्रचार से जमीनी स्‍तर पर सरकार के अच्‍छे कामों की जानकारी पहुंचेगी। पिछले सप्‍ताह मंत्रियों की बैठक में पीएम मोदी ने सरकार और पार्टी मशीनरी पर केन्‍द्र के कामों के प्रति लोगों में गुडविल पैदा न करने पर नाराजगी जताई थी। पार्टी ने प्रचार के लिए ‘असम निर्माण’ थीम रखी है। इसके तहत विजन डॉक्‍यूमेंट जारी किया जाएगा। एक पार्टी नेता का कहना है कि, सीएम पद के उम्‍मीदवार का एलान करने से अब लड़ाई तरुण गोगोई और सर्वानंद सोनोवाल के बीच की हो गई है। कांग्रेस उम्‍मीद कर रही थी कि यह पीएम और गोगोई के बीच रहेगी। उन्‍होंने कहा,’ इस घोषणा से पार्टी को कैडर का एकजुट करने का समय मिल गया है। जिन लोगों को सोनोवाल के नेतृत्‍व पर संदेह हैं उन्‍हें प्रचार के चरम पर पहुंचने से पहले मना लिया जाएगा।’

इसी बीच भाजपा अलग अलग हिंदू समुदायों के छोटे ग्रुप से भी गठबंधन करने की तैयारी कर रही है। 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट बैंक बढ़ा था। उसने 14 में से 7 सीटें जीती थीं। भाजपा ने बोडोलैंड पीपल्‍स फ्रंट से गठबंधन का एलान कर दिया है। बोडोलैंड पीपल्‍स फ्रंट के साथ गठबंधन कर भाजपा ने बंगाली हिंदू, असम आदिवासी और चाय बागान कर्मचारियों के मतों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। भाजपा नेता ने कहा कि,’ पार्टी ने 126 सदस्‍यीय विधानसभा में 84 सीटों का लक्ष्‍य रखा है। इसके लिए चाय बागान कर्मचारियों के वोट अहम हो सकते हैं। परंपरागत रूप से यह कांग्रेस समर्थक रहे हैं लेकिन राज्‍य सरकार से नाराज हैं, इसके चलते वे काफी महत्‍वपूर्ण हैं। 30 सीटों पर उनका प्रभाव है और बोडो की इनमें से 15 सीटों पर अच्‍छी पकड़ है।

केन्‍द्र सरकार इन लोगों को लक्ष्‍य मानते हुए कुछ नई योजनाएं भी घोषित कर सकती है। भाजपा नेता के अनुसार, ताई अहम समुदाय को एसटी स्‍टेटस दिया जा सकता है।’ कोच राजबंगशी, ताई अहम, मोरन, सुतिया, मोटोक और साह जोनोगोश्‍ती एसटी दर्जा मांग रहे हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार असम की 12.41 फीसदी जनसंख्‍या एसटी है। राज्‍य में 15 सीटें एसटी के लिए आरक्षित है।