जरनैल सिंह भिंडरांवाले की शख्सियत को लेकर अक्सर चर्चाएं होती हैं। एक धड़ा जहां भिंडरांवाले को संत मानता है तो दूसरा धड़ा दुर्दांत आतंकी। संत मानने वालों की फेरहिस्त में बेबाक नेता और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी शामिल हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि भिंडरांवाले से उनकी पांच मुलाकातें हुई थी। यह सब मुलाकातें ऑपरेशन ब्लू स्टार से कुछ महीने पहले हुई थी। उन्होंने बताया कि मैं भिंडरांवाले के प्रवचनों में भी शरीक हो चुका हूं।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि मैं 3 दिनों तक अकालतख्त में रहा और दो दिनों तक पड़ोस में रहा। इस दौरान भिंडरांवाले के प्रवचन सुनने के लिए भी जाता था। वह बताते हैं कि भिंडरावाले के साथ हुई पर्सनल बातचीत, प्रवचन सुनने आने वाले लोग और उन लोगों के साथ भिंडरांवाले के बर्ताव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि वो एक संत था। बकौल स्वामी, जरनैल सिंह कम उम्र का बहुत गुस्सैल स्वभाव का शख्स था।
एक घटना के बारे में बात करते स्वामी ने बताया कि भिंडरंवाले के प्रवचन में मैं बैठा हुआ था। तभी एक लड़की वहां रोते हुए आई और भिंडरांवाले के पैरों में गिर गई। उसने रोते हुए बताया कि ससुराल में दहेज के लिए परेशान किया जाता है। इस पर भिंडरांवाले ने लड़की के ससुराल वालों को बुलाने के लिए कहा। स्वामी ने बताया कि अगले दिन जब ससुराल वाले पहुंचे तो भिंडरांवाले ने उस लड़की को अपनी बेटी बताते हुए अपनी जेब से 10 हजार रुपये निकाले और लड़के पक्ष को देते हुए कहा कि यह दहेज की पहली किश्त है। इतना सुनते ही लड़के वाले डर गए और उन्हें इसे लेने से इनकार कर दिया और वादा किया कि वह अपनी बहू को कभी परेशान नहीं करेंगे।
स्वामी का मानना है कि ऑपरेशन ब्लूस्टार सोवियत रुस की साजिश थी। इसको लेकर उन्होंने 2019 एक ट्वीट भी किया था जिस पर जमकर हंगामा हुआ था। न्यूज 18 पंजाब हरियाणा हिमाचल के यूट्यूब चैनल पर अपलोड इंटरव्यू में भी वह इसकी बात करते हैं। वह कहते हैं भिंडरांवाले ने कभी भी खालिस्तान की मांग नहीं की थी। यह इंदिरा गांधी और सोविय रुस की साजिश थी।
स्वामी के अनुसार सोवियत रुस उन दिनों अफगानिस्तान पहुंच चुका था और वह पाकिस्तान पर कब्जा करने की योजना बना रहा था और भविष्य में उनकी योजना भारत पर भी कब्जा करने की थी। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सिख थे और सिखो का गढ़ था पंजाब। इसलिए सिखों की कमर तोड़ने के लिए ब्लूस्टार को अंजाम दिया गया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भिंडरांवाले को बंदूक की संस्कृति से जोड़कर देखा जाता है। उसकी छवि एक खास वर्ग के लोगों के नेता के तौर पर रही है। भिंडरांवाले बहुत कम उम्र में दमदमी टक्साल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।